"हमीरपुर जिला, उत्तर प्रदेश": अवतरणों में अंतर

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छो बुन्देलखण्ड के सीमित भूभाग में बसा बहुत ही प्यारा शहर है यह हमीरपुर।।।
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'''हमीरपुर ''' भारतीय राज्य [[उत्तर प्रदेश]] का एक [[जिला]] है। हमीरपुर नाम से ही एक जिला [[हमीरपुर जिला|हिमाचल प्रदेश]] में भी है। यह जिला बुन्देलखण्ड के अंतर्गत आता है। शहरयह हमीरपुरशहर यमुना तथा बेतवा नदियों के संगम पर बसा है। यह कानपुर के दक्षिण में लगभग ६०६८ किमी की दूरी पर स्थित है। यहां मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर भरुआ सुमेरपुर में, ८ किमी० दूर बरीपाल में (हमीरपुर रोड) रेलवे स्टेशन है।हैं। जिले में 4 तहसीलें हमीरपुर, मौदहा, राठ और सरीला हैं। 7 विकास खण्ड कुरारा, सुमेरपुर, मौदहा, मुस्करा, राठ, सरीला और गोहाण्ड हैं। 3 नगर पालिका हमीरपुर, मौदहा और राठ व 4 नगर पंचायतें कुरारा, सुमेरपुर, गोहाण्ड व सरीला हैं।
 
जिले का मुख्यालय [[हमीरपुर]] है।
'''क्षेत्रफल''' - 4121 वर्ग कि.मी.
 
'''जनसंख्या''' - 894,437 (2001 जनगणना)
 
'''साक्षरता''' -
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'''एस. टी. डी (STD) कोड''' - 05282
 
'''जिलाधिकारी '''- डा०श्री विशाखअभिषेक अय्यरकुमार (आई.ए.एस.)
 
'''समुद्र तल से उचाई''' -
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'''औसत वर्षा''' - मि.मी.
क्षेत्रफल: 4,098 वर्ग किलोमीटर
भाषा: हिन्दी सिंघ महेशवरी मंदिर, चौरा देवी मंदिर, मेहर मंदिर, गायत्री तपोभूमि, बाके बिहारी मंदिर, ब्रह्मानन्द धाम, कल्पवृक्ष और निरंकारी आश्रम आदि यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से हैं। यह जिला जालौन, जिला कानपुर देहात जिला और फतेहपुर जिले के उत्तर, बांदा जिले के पूर्व, महोबा जिले के दक्षिण और झांसी जिले के पश्चिम से घिरा हुआ है। यमुना और बेतवा यहां की प्रमुख नदियां है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के समय में भी इस जगह भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
 
भाषा: हिन्दी
 
भाषा:सिंहमहेश्वरी हिन्दी सिंघ महेशवरी(संगमेश्वर) मंदिर, चौरा देवीचौरादेवी मंदिर, मेहर बाबा मंदिर, गायत्री तपोभूमि, बाकेबाँके बिहारी मंदिर, ब्रह्मानन्द धाम, कल्पवृक्ष और निरंकारी आश्रम आदि यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से हैं। यह जिला जालौन, जिला कानपुर देहात जिला, और फतेहपुर जिले के उत्तर, बांदा जिले के पूर्व, महोबा जिले के दक्षिण और झांसी जिले के पश्चिम से घिरा हुआ है। यमुना और बेतवा यहां की प्रमुख नदियां है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के समय में भी इस जगह भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
 
 
सिंघ महेश्‍वरीसिंहमहेश्वरी मंदिर (संगमेश्वर मन्दिर) :- यह मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। यह मंदिर यमुना नदी के तट पर स्थित जिला मुख्यालय के समीप मेरापुर ग्राम में है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह मंदिर काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। माना जाता है कि यह मंदिर गुप्त काल के समय का है। संगम तट के निकट होने के कारण इसका शुद्ध नाम संगमेश्वर मन्दिर भी है।
 
चौरा देवीचौरादेवी मंदिर: चौरा देवी मंदिर का निर्माण एक पीपल के वृक्ष के समीप करवाया गया है। मंदिर में चौरा देवी (काली देवी) की प्रतिमा स्थित है। माना जाता है कि एक बार किसी भक्त के स्वप्न में आधी रात को देवी ने दर्शन दिए थे। कुछ समय के पश्चात् मंदिर के समीप ही एक खूबसूरत पार्क का निर्माण करवाया गया था।
 
मेहर बाबा मंदिर: मेहर मंदिर का निर्माण 1964 ई. में परमेशवरी दयाल पुकार ने करवाया था। परमेशवरी अवतार मेहर बाबा के बहुत बड़े भक्त थे। 18 नवम्बर 1970 ई. को मंदिर में अवतार मेहर बाबा की प्रतिमा स्थापित की गई थी। प्रत्येक वर्ष 18 और 19 नवम्बर को मेहरविश्व प्रेम मेले का आयोजन किया जाता है।है।जिसमें देश-विदेश से बाबा के भक्त आते हैं।
 
बाके विहारीबाँकेबिहारी मंदिर: इस मंदिर का निर्माण 1872 ई. में पण्डित धानी राम ने करवाया था। इस मंदिर का निर्माण पण्डित धानी राम ने अपने भतीजे प्रागदत्त की पुण्यतिथि पर करवाया था। यह मंदिर पूरे बुंदेलखंड में अपनी कला के लिए प्रसिद्ध है।
 
सिंघ महेश्‍वरी मंदिर: यह मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। यह मंदिर यमुना नदी के तट पर स्थित जिला मुख्यालय के समीप है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह मंदिर काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। माना जाता है कि यह मंदिर गुप्त काल के समय का है।
चौरा देवी मंदिर: चौरा देवी मंदिर का निर्माण एक पीपल के वृक्ष के समीप करवाया गया है। मंदिर में चौरा देवी की प्रतिमा स्थित है। माना जाता है कि एक बार किसी भक्त के स्वप्न में आधी रात को देवी ने दर्शन दिए थे। कुछ समय के पश्चात् मंदिर के समीप ही एक खूबसूरत पार्क का निर्माण करवाया गया था।
मेहर मंदिर: मेहर मंदिर का निर्माण 1964 ई. में परमेशवरी दयाल पुकार ने करवाया था। परमेशवरी अवतार मेहर बाबा के बहुत बड़े भक्त थे। 18 नवम्बर 1970 ई. को मंदिर में अवतार मेहर बाबा की प्रतिमा स्थापित की गई थी। प्रत्येक वर्ष 18 और 19 नवम्बर को मेहर प्रेम मेले का आयोजन किया जाता है।
बाके विहारी मंदिर: इस मंदिर का निर्माण 1872 ई. में पण्डित धानी राम ने करवाया था। इस मंदिर का निर्माण पण्डित धानी राम ने अपने भतीजे प्रागदत्त की पुण्यतिथि पर करवाया था। यह मंदिर पूरे बुंदेलखंड में अपनी कला के लिए प्रसिद्ध है।
सिटी फॉरेस्ट: सिटी फॉरेस्ट की स्थापना वन विभाग द्वारा की गयी थी। हमीरपुर- कालपी मार्ग के समीप स्थित यह जगह हमीरपुर से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह जगह विशेष रूप से पिकनिक स्थल के रूप में काफी प्रसिद्ध है।
 
ब्रह्मानन्द धाम: ब्रह्मानन्द बांध का निर्माण स्वामी ब्रह्मानन्द की याद में करवाया गया था। यह धाम बरबारा गांव के सरीला ब्लॉक में स्थित है। इस जगह को धाम के नाम से भी जाना जाता है।
 
कल्पवृक्ष: कल्पवृक्ष हमीरपुर स्थित यमुना नदी के तट पर स्थित है। यह काफी पुराना वृक्ष है और भारत के बहुत ही कम जगहों पर देखा जा सकता है।
 
-*साईं दाता आश्रम*:-- हमीरपुर जिले में साईं दाता पंथ के कई आश्रम है। ग्राम- बिवार में जन्मे दाता हकसफा शाह ने फैजाबाद के मजनाई आकर दाता मोहन शाह की परम्परा में साधना की। वापस लौटकर विवार से 6 किमी पूर्व कोइलहा गांव के पास जंगल में आश्रम बनाया। दाता हकसफा शाह द्वारा स्थापित आश्रम आज भी हजारों श्रद्धालुओं की श्रद्धा का केंद्र है।।
 
बांधुर बुजुर्ग -- बिवार गांव से 5 किमी पश्चिम में सरीला मार्ग पर स्थित बांधुर गांव में दो आश्रम हैं। छोटे आश्रम के प्रमुख दाता एन कानून शाह हैं। बड़े आश्रम में महिला दाता प्रमुख हैं।।