"अर्थशास्त्र (ग्रन्थ)": अवतरणों में अंतर

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== इतिहास ==
यद्यपि कतिपय प्राचीन लेखकों ने अपने ग्रंथों में अर्थशास्त्र से अवतरण दिए हैं और कौटिल्य का उल्लेख किया है, तथापि यह ग्रंथ लुप्त हो चुका था। 1904 ई. में [[तंजोर]] के एक पंडित ने [[भट्टस्वामी]] के अपूर्ण [[भाष्य]] के साथ अर्थशास्त्र का हस्तलेख [[मैसूर]] राज्य पुस्तकालय के अध्यक्ष [[रुद्रपट्टण शामाशास्त्री|श्री आर. शाम शास्त्री]] को दिया। श्री शास्त्री ने पहले इसका अंशत:अंशतः अंग्रेजी भाषांतरभाषान्तर 1905 ई. में "इंडियन ऐंटिक्वेरी" तथा "मैसूर रिव्यू" (1906-1909) में प्रकाशित किया। इसके पश्चात् इस ग्रंथ के दो हस्तलेख म्यूनिख लाइब्रेरी में प्राप्त हुए और एक संभवत: कलकत्ता में। तदनंतरतदनन्तर [[शाम शास्त्री]], [[गणपति शास्त्री]], [[यदुवीर शास्त्री]] आदि द्वारा अर्थशास्त्र के कई संस्करण प्रकाशित हुए। शाम शास्त्री द्वारा अंग्रेजी भाषांतरभाषान्तर का चतुर्थ संस्करण (1929 ई.) प्रामाणिक माना जाता है।
 
पुस्तक के प्रकाशन के साथ ही भारत तथा पाश्चात्य देशों में हलचल-सी मच गई क्योंकि इसमें शासन-विज्ञान के उन अद्भुत तत्त्वों का वर्णन पाया गया, जिनके सम्बन्ध में भारतीयों को सर्वथा अनभिज्ञ समझा जाता था। पाश्चात्य विद्वान फ्लीट, जौली आदि ने इस पुस्तक को एक ‘अत्यन्त महत्त्वपूर्ण’ ग्रंथ बतलाया और इसे भारत के प्राचीन इतिहास के निर्माण में परम सहायक साधन स्वीकार किया।