"मैथिली भाषा": अवतरणों में अंतर

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[[मैथिली साहित्य]] का अपना समृद्ध इतिहास रहा है और चौदहवीं तथा पंद्रहवीं शताब्दी के कवि [[विद्यापति]] को मैथिली साहित्य में सबसे ऊँचा दर्जा प्राप्त है। विद्यापति के बाद के काल में [[गोविन्द दास]], चन्दा झा, मनबोध, पंडित सीताराम झा, जीवनाथ झा (जीवन झा) प्रमुख साहित्यकार माने जाते हैं। वही नेपाली के राजेन्द्र विमल (जनकपुर), धीरेन्द्र प्रेमर्षी व रूपा झा (लहान सिरहा), राम दयाल राकेश (सिसौटिया सर्लाही), भ्रमर जैसे प्रमुख साहित्यकार अपने साहित्य से मैथिली कों शुभोवित कर रहे है वही विद्यानन्द वेदर्दी (राजविराज सप्तरी), रंजित झा (बलरा सर्लाही), स्नेहा झा (जनकपुर), नारायण मधुशाला जैसे युवा साहित्यकार मैथिली साहित्य मे अपने रचनाओं का बिज बो रहे है।
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