"ऋग्वेद": अवतरणों में अंतर

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*'''[[धानुष्कयज्वा]]''' - विक्रम की १६वीं शती से पूर्व वेद् भाष्यकार धानुष्कयज्वा का उल्लेख मिलता है जिन्होंने तीन वेदों के भाष्य लिखे।
 
* '''[[आनंदतीर्थआनन्दतीर्थ]]''' - चौदहवीं सदी के मध्य में वैष्णवाचार्य आन्नदतीर्थ जी ने ऋग्वेद के कुछ मंत्रों पर अपना भाष्य लिखा है।
 
* '''[[आत्मानंदआत्मानन्द]]''' - ऋग्वेद भाष्य जहाँ सर्वदा यज्ञपरक और देवपरक मिलते हैं, इनके द्वारा लिखा भाष्य आध्यात्मिक लगता है।
 
* '''[[सायण]]''' - ये मध्यकाल का लिखा सबसे विश्वसनीय, संपूर्ण और प्रभावकारी भाष्य है। [[विजयनगर]] के महाराज [[बुक्का]] (वुक्काराय) ने वेदों के भाष्य का कार्य अपने आध्यात्मिक गुरु और राजनीतिज्ञ अमात्य [[माधवाचार्य]] को सौंपा था। पमन्चु इस वृहत कार्य को छोड़कर उन्होंने अपने छोटे भाई सायण को ये दायित्व सौंप दिया। उन्होंने अपने विशाल ज्ञानकोश से इस टीका का न सिर्फकेवल संपादनसम्पादन किया बल्कि २४ वर्षों तक सेनापतित्व का दायित्व भी २४ वर्षों तक निभाया।
 
=== आधुनिक भाष्य तथा व्याख्या ===