"सोम": अवतरणों में अंतर

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सोमलता, सौम्यता के अर्थों में बहुधा प्रयुक्त सोम शब्द के वर्णन में इसका निचोड़ा-पीसा जाना, इसका जन्मना (या निकलना, सवन) और [[इन्द्र]] द्वारा पीया जाना प्रमुख है। अलग-अलग स्थानों पर इंद्र का अर्थ आत्मा, राजा, ईश्वर, बिजली आदि है। [[श्री अरविन्द]], [[कपाली शास्त्री]] आदि जैसे विद्वानों ने सोम का अर्थ ''श्रमजनित आनन्द'' बताया है। [[मध्वाचार्य]] परंपरा में सोम का अर्थात [[श्रीकृष्ण]] लिखा है। [[सामवेद]] के लगभग एक चौथाई मन्त्र पवमान सोम के विषय में है, ''पवमान सोम'' का अर्थ हुआ - पवित्र करने वाला सोम।
 
वेदों में 'सोम' शब्द पेय के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है, पौधे के रूप में प्रयुक्त हुआ है और [[देवता]] के अर्थ में भी यही शब्द प्रयुक्त हुआ है। सोमपान से अमरता की प्राप्ति होती है (अमृता, ऋग्वेद ८.४८.३)। [[इन्द्र]] और [[अग्नि]] को प्रचुर मात्रा में सोमपान करते हुए बताया गया है। वेदों में मानव के लिए भी सोमपान की स्वीकृति है-
 
: ''अपाम सोमममृता अभूमागन्म ज्योतिरविदाम देवान् ।
: ''किं नूनमस्मान्कृणवदरातिः किमु धूर्तिरमृत मर्त्यस्य ॥ऋग्वेद ८.४८.३॥
 
[[स्वामी दयानन्द सरस्वती]] ने इसका अर्थ इस प्रकार किया है-
 
: सोम (अच्छा फल जो खाद्य है किन्तु मादक नहीं है) अपाम (हम तुम्हारा पान करते हैं)
: अमृता अभूम् (आप जीवन के अमृत हो) ज्योतिर् आगन्म (भगवान का प्रकाश या शारीरिक शक्ति पाते हैं)
: अविदाम देवान् (अपनी इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करते हैं)
: किं नूनं अस्मान् कृणवद् अरातिः (इस अवस्था में, हमारा आन्तरिक शत्रु मेरा क्या बिगाड़ सकता है?)
: किमु धूर्तिरमृत मर्त्यस्य (भगवन्! हिंसक लोग भी मेरा क्या बिगाड़ सकते हैं?)
 
 
राल्फ टी एच ग्रिफिथ ने इसका अनुवाद निम्नलिखित किया है-
:'' We have drunk soma and become immortal; we have attained the light, the Gods discovered.
:'' Now what may foeman's malice do to harm us? What, O Immortal, mortal man's deception?
 
==सन्दर्भ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/सोम" से प्राप्त