'''काल भैरव मंदिर''', [[उज्जैन]] स्थित एक हिन्दू मंदिर है जो कि भगवान काल भैरव को समर्पित है। यह [[महाकाल मंदिर]] से लगभग पाँच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह दुनिया का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां पर भैरव भगवान पर मदिरा का चढ़ावा चढ़ाया जाता है । आपको इस मंदिर के बाहर में सभी सामग्री मिल जाएगी । इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको उज्जैन से हर संभव सहायता मिल जाएगी । बस ,टैक्सी ,मिल जाती हैं ।मंदिर परिसर बहुत ही अच्छा है
यहा दिन के २४ घंटे साल के ३६५ दिन मदिरा उपलब्ध रहती है
कालभैरव के इस मंदिर में दिन में दो बार आरती होती है एक सुबह साढ़े आठ बजे आरती की जाती है. दूसरी आरती रात में साढ़े आठ बजे की जाती है. महाकाल की नगरी होने से भगवान काल भैरव को उज्जैन नगर का सेनापति भी कहा जाता है. कालभैरव के शत्रु नाश मनोकामना को लेकर कहा जाता है कि यहां मराठा काल में महादजी सिंधिया ने युद्ध में विजय के लिए भगवान को अपनी पगड़ी अर्पित की थी. पानीपत के युद्ध में मराठों की पराजय के बाद तत्कालीन शासक महादजी सिंधिया ने राज्य की पुर्नस्थापना के लिए भगवान के सामने पगड़ी रख दी थी. उन्होंने भगवान से प्रार्थना की कि युद्ध में विजयी होने के बाद वे मंदिर का जीर्णोद्धार करेंगे. कालभैरव की कृपा से महादजी सिंधिया युद्धों में विजय हासिल करते चले गए. इसके बाद उन्होंने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया. तब से मराठा सरदारों की पगड़ी भगवान कालभैरव के शीश पर पहनाई जाती है.
मदिरापान करती काल भैरव की प्रतिमा
क्या मूर्ति मदिरापान कर सकती...आप कहेंगे नहीं, कतई नहीं। भला मूर्ति कैसे मदिरापान कर सकती है। मूर्ति तो बेजान होती है। बेजान चीजों को भूख-प्यास का अहसास नहीं होता, इसलिए वह कुछ खाती-पीती भी नहीं है। लेकिन उज्जैन के काल भैरव के मंदिर में ऐसा नहीं होता। वाम मार्गी संप्रदाय के इस मंदिर में काल भैरव की मूर्ति को न सिर्फ मदिरा चढ़ाई जाती है, बल्कि बाबा भी मदिरापान करते हैं ।