"राजस्थान": अवतरणों में अंतर

छो राजस्थान पर्यटन विकास निगम के बारें में लिखा है
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 30:
 
=== प्राचीन काल में राजस्थान ===
[[प्राचीन]] समय में राजस्थान में क्षत्रिय राजपूतगुर्जर वंश के राजाओ का शासन था; जिनमे जालौर,मेवाड़ मुख्य थे। राजपूतगुर्जर जाति के विभिन्न वंशो ने इस राज्य के विविध भागों पर अपना कब्जा जमा लिया तो उन भागों का नामकरण अपने-अपने वंश, क्षेत्र की प्रमुख बोली अथवा स्थान के अनुरूप कर दिया।ये राज्य थे- [[उदयपुर]], [[डूंगरपुर]], [[बांसवाड़ा]], [[प्रतापगढ़]], [[जोधपुर]], [[बीकानेर]], [[किशनगढ़]], (जालोर) [[सिरोही]], [[कोटा]], [[बूंदी]], [[जयपुर]], [[अलवर]], [[करौली]], [[झालावाड़]] और [[टोंक]].<ref>इम्पीरियल गजैटियर</ref> ब्रिटिशकालप्राचीनकाल में राजस्थान 'राजपूताना'गुर्जरत्रा यानी गुर्जर भूमि के नाम से जाना जाता था। राजा [[महाराणा प्रताप]] अपनी असाधारण राज्यभक्ति और शौर्य के लिये जाने जाते हैं। इन राज्यों के नामों के साथ-साथ इनके कुछ भू-भागों को स्थानीय एवं भौगोलिक विशेषताओं के परिचायक नामों से भी पुकारा जाता रहा है। पर तथ्य यह है कि राजस्थान के अधिकांश तत्कालीन क्षेत्रों के नाम वहां बोली जाने वाली प्रमुखतम बोलियों पर ही रखे गए थे। उदाहरणार्थ ढ़ूंढ़ाडी-बोली के इलाकों को [[ढ़ूंढ़ाड़]] (जयपुर) कहते हैं। 'मेवाती' बोली वाले निकटवर्ती भू-भाग अलवर को 'मेवात', उदयपुर क्षेत्र में बोली जाने वाली बोली'मेवाड़ी' के कारण उदयपुर को [[मेवाड़]], ब्रजभाषा-बाहुल्य क्षेत्र को 'ब्रज', 'मारवाड़ी' बोली के कारण बीकानेर-जोधपुर इलाके को 'मारवाड़' और 'वागडी' बोली पर ही डूंगरपुर-बांसवाडा अदि को 'वागड' कहा जाता रहा है। डूंगरपुर तथा उदयपुर के दक्षिणी भाग में प्राचीन ५६ गांवों के समूह को ""छप्पन"" नाम से जानते हैं। [[माही नदी]] के तटीय भू-भाग को 'कोयल' तथा अजमेर के पास वाले कुछ पठारी भाग को 'उपरमाल' की संज्ञा दी गई है।<ref>गोपीनाथ शर्मा / 'Social Life in Medivial Rajasthan' / पृष्ठ ३</ref><ref>http://tdil.mit.gov.in/CoilNet/IGNCA/rj185.htm राजस्थान : एक परिचय, डॉ॰ कैलाश कुमार मिश्र</ref>
 
=== राजस्थान का एकीकरण ===