"शाहजहाँपुर जिला": अवतरणों में अंतर

छो 2405:204:A01E:EB9E:0:0:7CE:70A5 (Talk) के संपादनों को हटाकर Raju Jangid के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 39:
यहाँ का कालीन उद्योग, मैक्डोनाल्ड (केरू कम्पनी) शराब फैक्ट्री, तथा रौसर कोठी (चीनी मिल) सबसे पुराने हैं। इसी प्रकार यहाँ की ऑर्डिनेन्स क्लोदिंग फैक्ट्री भी है जो सेना के लिये वस्त्र व पैराशूट उपलब्ध कराती है। इसके अतिरिक्त पेपर मिल मैदा व आटा मिल तथा चावल की भी मिलें हैं। शाहजहाँपुर-फर्रुखाबाद मार्ग पर फर्टीलाइजर फैक्ट्री भी स्थापित हो चुकी है जो देश भर को यूरिया सप्लाई करती है। इन सबके अतिरिक्त जो सबसे बडा उद्योग यहाँ लगा है वह है ४ गुणा १२०० मेगावाट क्षमता वाले ताप बिजली घरों का जो रौजा के आगे नये बने [[राम प्रसाद 'बिस्मिल']] [[रेलवे स्टेशन]] के समीप स्थित है। इससे न केवल शाहजहाँपुर, अपितु पूरा उत्तर प्रदेश लाभान्वित हुआ है।
 
== ऐतिहासिक व्यक्ति एवं स्थान ==
[[चित्र:Kakori Shaheed.jpg|thumb|right|200px|काकोरी काण्ड के चार शहीद इनमें तीन-अशफाक, बिस्मिल व रोशन शाहजहाँपुर के थे]]जिन लोगों ने इस जिले का नाम पूरे विश्व में चमकाया उनमें बीसवीं सदी के महान क्रान्तिकारी पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल, उनके प्रमुख सहयोगी व एक साथ फाँसी पर झूलने वाले अशफाक उल्ला खाँ व ठाकुर रोशन सिंह तो हैं ही, सन् १८५७ के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के प्रमुख पुरोधा मौलवी अहमद उल्ला शाह<ref>डॉ॰ एन० सी० मेहरोत्रा स्वतन्त्रता आन्दोलन में जनपद शाहजहाँपुर का योगदान पृष्ठ ५७</ref> का नाम भी इतिहास में दर्ज़ है जिनका सिर काटकर शहर के बीचो-बीच कोतवाली पर बहुत ऊँचाई पर इसलिये टाँग दिया गया था ताकि कोई बगावत करने की हिम्मत न कर सके। इसके बावजूद यहाँ के बागियों ने हिम्मत नहीं हारी और अंग्रेजों व उनके पिट्ठुओं का कत्ले-आम जारी रक्खा। कुछ ने डरकर घण्टाघर रोड पर स्थित एक नवाब की कोठी में शरण ली तो बागियों ने उस कोठी को ही आग के हवाले कर दिया। आज भी वह कोठी '''जली कोठी'''<ref>डॉ॰ एन० सी० मेहरोत्रा स्वतन्त्रता आन्दोलन में जनपद शाहजहाँपुर का योगदान पृष्ठ ५३</ref> के नाम से जानी जाती है।