"अवलोकितेश्वर": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Avalokitesvara Plaosan.jpg|thumb|220px|[[इंडोनीशिया]] के जावा द्वीप के एक मंदिर में अवलोकितेश्वर कीबोधिसत्व पद्मपाणी के हाथ में कमल लिए एक मूर्ती]]
''' बोधिसत्व पद्मपाणी''' [[महायान]] [[बौद्ध धर्म]] सम्प्रदाय के सब से लोकप्रिय [[बोधिसत्वों]] में से एक हैं। उनमें अनंत करुणा है और धर्म-कथाओं में कहा गया है कि बिना संसार के समस्त प्राणियों का उद्धार किये वे स्वयं [[निर्वाण]] लाभ नहीं करेंगे। कहा जाता है कि अवलोकितेश्वर अपनी असीम करुणा में कोई भी रूप धारण कर के किसी दुखी प्राणी की सहायता के लिए आ सकते हैं।<ref name="ref94zucaj">[http://books.google.com/books?id=ArWLD4Qop38C The Silk Road: trade, travel, war and faith], Susan Whitfield, British Library, Serindia Publications, Inc., 2004, ISBN 978-1-932476-13-2, ''... Avalokitesvara, the embodiment of compassion, is one of the most popular of the Mahayana bodhisattvas. The ability of Avalokitesvara to take any form in order to come to the aid of sentient beings is described in chapter twenty-five of the Lotus Sutra ...''</ref> महायान बौद्ध ग्रंथ [[सद्धर्मपुंडरीक]] में 'अवलोकितेश्वर बोधिसत्व' के माहात्म्य का चमत्कारपूर्ण वर्णन मिलता है। [[हान चीनी|चीनी]] धर्मयात्री [[फ़ाहियान]] ३९९ ई॰ में जब [[भारत]] आए थे तब उन्होंने सभी जगह अवलोकितेश्वर की पूजा होते देखी।