"अथर्ववेद संहिता": अवतरणों में अंतर

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:* ॠग्वेद के उच्च कोटि के [[देवता|देवताओं]] को इस वेद में गौण स्थान प्राप्त हुआ है।
:* धर्म के इतिहास की दृष्टि से ॠग्वेद और अथर्ववेद दोनों का बड़ा ही मूल्य है।
:* अथर्ववेद से स्पष्ट है कि कालान्तर में [[आर्य|आर्यों]] में प्रकृति-पूजा की उपेक्षा हो गयी थी और प्रेत-आत्माओं व तन्त्र-मन्त्रआयुर्वेद में विश्वास किया जाने लगा था।
 
== इन्हें भी देखें ==