"अजातशत्रु (मगध का राजा)": अवतरणों में अंतर

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|birth_date = 509ई०पू०
|birth_place =
|death_date =462461 ई०पू०
|death_place =
|royal house =[[हर्यक वंश]]
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'''अजातशत्रु''' (लगभग 493 ई. पू.<ref name=ROMILLA>{{cite book| last = थापर| first = रोमिला| title =भारत का इतिहास | url =http://books.google.co.in/books?id=Cz0xygAACAAJ|publisher = राजकमल प्रकाशन| isbn = 81-267-0568-X| page = 49 }}</ref>) [[मगध]] का एक प्रतापी सम्राट और [[बिंबिसार]] का पुत्र जिसने पिता को मारकर राज्य प्राप्त किया। उसने अंग, लिच्छवि, वज्जी, कोसल तथा काशी जनपदों को अपने राज्य में मिलाकर एक विस्तृत साम्राज्य की स्थापना की।
अजातशत्रु के समय की सबसे महान घटना बुद्ध का महापरिनिर्वाण थी (464 ई. पू.)। उस घटना के अवसर पर बुद्ध की अस्थि प्राप्त करने के लिए अजात शत्रु ने भी प्रयत्न किया था और अपना अंश प्राप्त कर उसने [[राजगृह]] की पहाड़ी पर स्तूप बनवाया। आगे चलकर राजगृह में ही वैभार पर्वत की सप्तपर्णी गुहा से बौद्ध संघ की प्रथम [[बौद्ध संगीति|संगीति]] हुई जिसमें सुत्तपिटक और विनयपिटक का संपादन हुआ। यह मदर कार्य भी इसी नरेश के समय में संपादित हुआ।
 
== विस्तार नीति ==