"काव्य हेतु": अवतरणों में अंतर

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हेतु का अर्थ है कारण। काव्य हेतु के अंतर्गत उन कारणों पर विचार किया जाता है जो [[काव्य]] की रचना के लिए मूल और निर्णायक रूप से उत्तरदायी होते हैं। [[संस्कृत काव्यशास्त्र]] में काव्य के मुखयतः तीन हेतु गिनाये गये हैं- [[प्रतिभा]] या शक्ति, [[व्युत्पत्ती]] या बहुज्ञता।बहुज्ञता और [[अभ्यास]]। [[अभिनव गुप्त]] के अनुसार प्रतिभा अपूर्व वस्तु के निर्माण में सक्षम कवि की नवोन्मेषशालीनी बुद्धीबुद्धि है। [[शास्त्र]] और [[लोक]] व्यवहार का गहन पर्यालोचन करने के बाद कवि में बहुज्ञता गुण का समावेश होता है। काव्य रचना की पुनः पुण्येण रचना की प्रवृत्ति ही अभ्यास है।
 
[[श्रेणी:संस्कृत काव्यशास्त्र]]