"गंगाधरन नायर": अवतरणों में अंतर

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'''जी॰ गंगाधरन नायर''' (जन्म अकतूबरअक्तूबर 2, 1946) एक अंतर्राष्ट्रीय [[संस्कृत भाषा]] के विद्वान और आधुनिक युग में सामान्य बोलचाल की संस्कृत की दिशा में पथ प्रदर्शक रहे हैं। उन्होंने संस्कृत व्याकरण में पी॰एच॰डी॰ की शिक्षा पूरी की और रूसी और संस्कृत में एम॰ए॰ की डिग्रियाँ प्राप्त की थी। उनके पास संस्कृत कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा का चालीस साल से अधिक का अनुभव है। उन्होंने पहल की और [[एम॰ फातिमा बीबी]] को शोध की दिशा में मार्गदर्शन दिया। फ़ातिमा पहली [[मुसलमान]] महिला है जिसने [[वेदान्त दर्शन|वेदान्त]] में शोध करके पी॰एच॰डी॰ की डिग्री प्राप्त की। <ref>http://www.rediff.com/news/1999/apr/28sans.htm</ref>
 
==जीवन==
 
===प्रारंभिक जीवन===
जी॰ गंगाधरन नायर का जन्म अक्तूबर 2, 1946 को वड़ूर, [[केरल]] में लम्बे समय से प्रसिद्ध वी॰के॰ पिल्लै के परिवार में हुआ जो स्वतंत्रता सेनानी के रूप में अपनी एक अलग पहचान बना चुके थे और वह संस्कृत भाषा तथा देसी और औषधी के विद्वान थे। गंगाधरन ने पारंपारिक शिक्षा स्वामि विद्यानंद तीर्थपद से प्राप्त की जो [[चट्टम्पी स्वामिकल]] के भक्त थे। आगे चलकर उन्होंने पूर्वी और पश्चिमी रूप की संस्कृत शिक्षा, विशेष रूप संस्कृत व्याकरण और भाषाविद्या [[तिरुवनन्तपुरम]] के सरकारी संस्कृत कॉलेज और [[केरल विश्वविद्यालय]] से प्राप्त की। इसके साथ-साथ उन्होंने [[रूसी भाषा]] और साहित्य में केरल विश्वविद्यालय के रूसी विभाग से उन्होंने एम॰ए॰ की डिग्री प्राप्त की।
 
गंगाधरन ने प्रो॰ एम॰एच॰ शास्त्री (जिनके सरकारी संस्कृत कॉलेज के पद पर गंगाधरन बाद में नियुक्त हुए थे),<ref>http://www.hindu.com/fr/2010/12/31/stories/2010123151050400.htm</ref> प्रो॰ वासुदेवन पोट्टी, प्रो॰ वी॰ वेंकटराजा शर्मा, प्रो॰ स्मिर्नोव, प्रो॰ वस्सिलयेव और प्रो॰ एलिसीवा जैसे प्रसिद्ध शिक्षकों से अपनी शिक्षा पूरी की। उन्होंने ''उनादि सूत्र'' पर शोध करके पी॰एच॰डी॰ की डिग्री प्राप्त की। भारत की इस प्राचीन शब्द-ज्ञान पर आधारित इस ग्रन्थ पर शोध-कार्य में प्रो॰ वेकटसुब्रमनिया अय्यर और डॉ॰ आर॰ करुणाकरन ने उनका मार्गदर्शन किया।