"ज्ञान योग": अवतरणों में अंतर

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'''ज्ञान योग''' ''स्वंज्ञान'' अर्थात स्वं का जानकारी प्राप्त करने को कहते है। ये अपनी और अपने परिवेश को अनुभव करने के माध्यम से समझना है।
स्वामी विवेकानन्द के ज्ञानयोग सम्बन्धित व्याख्यान, उपदेशों तथा लेखों को लिपिबद्ध कर 'ज्ञानयोग' पुस्तक में संकलित किया है। ज्ञान के माध्यम से ईश्वरीय स्वरूप का ज्ञान, वास्तविक सत्य का ज्ञान ही ज्ञानयोग का लक्ष्य है। स्वामी विवेकानंद द्वारा रचित ज्ञानयोग वेदांत के अंतर्गत सत्यों को बताकर वेदांत के सार रूप में प्रस्तुत है।