"तर्कशास्त्र": अवतरणों में अंतर

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तर्कवाक्य और वाक्य (Preposition and Sentences)
 
 
 
हम तर्कवाक्य (Preposition) जो प्रत्येक तर्क या युक्ति (argument) की निर्माण इकाई है की, जांच से शुरुआत करते हैं। तर्क वाक्य वह है जिससे दावा किया जा सकता है या इनकार किया जा सकता है। अर्थात प्रत्येक तर्कवाक्य या तो सत्य है या गलत। यद्यपि हम कुछ दी गई तर्कवाक्यों की सत्यता या असत्यता के बारे में नहीं जान सकते जैसे- हमारी आकाशगंगा में किसी अन्य ग्रह पर जीवन संभव है - ऐसा तर्क वाक्य है जिसकी सत्यता या असत्यता के बारे में हम नहीं जानते हैं किंतु यह या तो यह सत्य है कि वहां ऐसी कोई बाह्या लौकिक जीवन है या यह सत्य नहीं है। संक्षेप में तर्कवाक्य की अनिवार्य विशेषता यह है कि वह या तो सत्य है या असत्य।
तर्क वाक्य और वाक्य का भेद समझ लिया जाए यह अति आवश्यक है एक ही संदर्भ में विभिन्न प्रकार से संरक्षित तथा विभिन्न शब्दों वाले दो वाक्यों के अर्थ एक ही हो सकते हैं और इसलिए वे एक ही तरह के तर्क वाक्य प्रकट कर सकते हैं जैसे
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तर्कवाक्य हमेशा सरल रूप में ही नहीं होते वरन् तर्कवाक्य मिश्रित भी होते हैं।जैसे किसी गद्यांश में अनेक तर्कवाक्य भी होते हैं। दो तर्कवाक्य को संयोजन से स्पष्ट करना स्वंय में प्रत्येक तर्कवाक्य के घटक को स्पष्ट करने के बराबर है। लेकिन कुछ अन्य प्रकार के मिश्रित तर्कवाक्य भी है जो अपने घटकों की सच्चाई को स्पष्ट नहीं करते है उदाहरणार्थ वैकल्पिक तर्कवाक्य में अथवा सोपाधिक तर्कवाक्य में।
 
युक्ति, आधारवाक्य और निष्कर्ष (Arguments,Premises and Conclusion)
तर्कवाक्य वे रचनात्मक इकाइयां है जिनके आधार पर युक्ति/अनुमान-प्रक्रिया की जाती है। युक्ति अथवा अनुमान वह प्रक्रिया है जिसमें एक या अनेक तर्कवाक्यों के आधार पर एक तर्कवाक्य पर पहुंचा जा सकता है जिन्हें प्रक्रिया के प्रारंभिक बिंदु के रूप में ग्रहण किया गया हो। किसी अनुमान की सत्यता को निर्धारित करने के लिए तर्कशास्त्री उन तर्कवाक्यों की जांच करता है जिससे प्रक्रिया का आदि और अंत होता है तथा उनके बीच के संबंध को स्थापित करता है। तर्क वाक्यों का यह समूह युक्ति अथवा अनुमान का निर्माण करता है। इस प्रकार प्रत्येक संभव अनुमान के पीछे एक तर्क argument होता है।
तर्कशास्त्र मुख्य रूप से युक्तियों से ही संबंधित है। तर्कशास्त्री इस शब्द का इस्तेमाल इस प्रकार करते हैं कि युक्ति तर्कवाक्यों का एक ऐसा समूह है जिसमें एक तर्कवाक्य दूसरे तर्कवाक्य या तर्कवाक्यों का अनुसरण करता है जिन्हें किसी की सत्यता स्पष्ट करने के लिए सहायता या आधार प्रदान करने वाला माना जाता है।
किसी युक्ति का “निष्कर्ष” वह तर्क वाक्य है जिसकी पुष्टि युक्ति के अन्य तर्कवाक्य या तर्कवाक्यों के आधार पर की जाती है और यह अन्य तर्क वाक्य उस युक्ति के “आधारवाक्य” है जिन की पुष्टि सहायता या कारण प्रदान करने के रूप में की जाती है ताकि निष्कर्ष को स्वीकार किया जा सके।
सरल युक्ति में केवल एक आधारवाक्य या आधारवाक्यों और एक निष्कर्ष से मिलकर बना होता है जिसमें उस क्रम में आधारवाक्य और निष्कर्ष को अलग-अलग वाक्यों में बताया जा सकता है या आधार वाक्य और निष्कर्ष दोनों को ही एक वाक्य में बताया जा सकता है। युक्ति तर्कवाक्यों के समूह से बनता है। इसलिए कोई एक तर्कवाक्य अपने आप में युक्ति नहीं हो सकता है किंतु कुछ मिश्रित तर्क वाक्य युक्तियों से काफी हद तक मिलते जुलते हैं। युक्ति में ऐसे तर्कवाक्यों से कोई भ्रांति न हो,इस बात की सावधानी रखनी चाहिए।
यद्यपि प्रत्येक युक्ति तर्कवाक्य या तर्कवाक्यों का एक संरचित समूह है किंतु तर्कवाक्यों का प्रत्येक संरचित समूह युक्ति नहीं है।
 
== इतिहास ==