"हिंदी आलोचना": अवतरणों में अंतर
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==हिन्दी आलोचना==
[[हिन्दी]] की विभिन्न विधाओं की तरह [[आलोचना]] का विकास भी प्रमुख रूप से आधुनिक काल की देन है | आधुनिक काल से पहले आलोचना का स्वरुप प्रमुखतया [[संस्कृत]] [[काव्यशास्त्र]] की पुनरावृति हुआ करती थी | लेकिन आज जो
आधुनिक गद्य साहित्य के साथ ही
===हिन्दी के प्रमुख समालोचक===
भारतेन्दु हरिश्चन्द को ही इस विधा का जनक माना जाता है। उन्होंने 'नाटक' नामक एक दीर्घ [[निबन्ध]] लिख कर इसकी शुरुआत की। हिन्दी साहित्य के प्रमुख आलोचक निम्नलिखित हैं –
* [[भारतेन्दु
* [[आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी]]
पंक्ति 24:
* [[आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी]]
* [[डॉ
* [[बाबू गुलाबराय]]
पंक्ति 34:
* [[धर्मवीर भारती]]
* [[नामवर सिंह|डॉ. नामवर सिंह]]
इसके आलावा हिन्दी साहित्य में कई ऐसे आलोचक हुए हैं जिनमें [[सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय]], [[डॉ. फ़तेह सिंह]], [[प्रेमघन]], [[गंगा प्रसाद अग्निहोत्री]], [[अम्बिकादत्त व्यास]], [[डॉ. रामकुमार वर्मा]], डॉ. कृष्णलाल, डॉ. केसरी नारायण शुक्ल, [[जयशंकर प्रसाद]], [[आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र]], डॉ. विनय मोहन शर्मा, डॉ. हरवंशलाल शर्मा, [[इलाचन्द्र जोशी]], [[शिवदान सिंह चौहान]], अमृतराय, [[डॉ. विजयेन्द्र स्नातक]], [[डॉ. विजयपाल सिंह]], डॉ. सत्येन्द्र, डॉ. कृष्णदेव उपाध्याय आदि।
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