"महिषासुर": अवतरणों में अंतर

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कोई उपाय न पाक देवताओं ने उसके विनाश के लिए [[दुर्गा]] का सृजन किया जिसे [[शक्ति]] और [[पार्वती]] के नाम से भी जाना जाता है। देवी दुर्गा ने महिषासुर पर आक्रमण कर उससे नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया। इसी उपलक्ष्य में हिंदू भक्तगण दस दिनों का [[त्यौहार]] [[दुर्गा पूजा]] मनाते हैं और दसवें दिन को [[विजयादशमी]] के नाम से जाना जाता है। जो बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है।
[[चित्र:Durga Puja DS.jpg|center|thumb|500px|[[दुर्गा पूजा]] में [[दुर्गा]] के [[महिषासुरमर्दिनी]] रूप की पूजा की जाती है।]]#असुरों_शूद्रों_का_इतिहास
जिनको राक्षस बोला गया वास्तव में वो राक्षस नहीं थे , वो भारत के मुलनिवासी शासक मुलनिवासी राजा थे,वो वास्तव में हमारे देश हमारे समाज के रक्षक थे वो हमारे पूर्वज थे , लगभग ईसा से 3100 साल पहले भारत में यूरेशिया की एक खूंखार जाति जिसको आर्य कहा जाता था का आगमन हुआ था। यूरेशिया, यूरोप और एशिया के बीच की जगह का नाम है और आज भी यह स्थान काला सागर के पास मौजूद है। इस बात के आज बहुत से प्रमाण भी मौजूद है। असल में आर्य एक बहुत ही खूंखार जाति थी। जिसके कारण यूरेशिया के लोगों का जीवन खतरे में आ गया था और हर तरफ अराजकता का माहौल बन गया था। आर्य लोग यूरेशिया के लोगों को हर समय लूटते और मारते रहते थे। जिस से तंग आ कर वहाँ के राजा ने सारे आर्यों को इक्कठा करके एक बड़ी सी नाव में बिठा कर मरने के लिए समुद्र में छोड़ दिया था। आर्य लोग यूरेशिया के रहने वाले है इस बात के बहुत से प्रमाण है जैसे आर्य लोगों की भाषा का रूस की भाषा से मिलना, ज्योतिष शास्त्र, वास्तु, तंत्र शास्त्र, और मन्त्र शास्त्र जो की वास्तव में मेसोपोटामिया सभ्यता की देन है और DNA पर किये गए शोध आदि। यह सभी वैज्ञानिक प्रमाण है ना की कोई काल्पनिक प्रमाण है। इंडिया के लोगों के DNA पर कुल दो शोध हुए है। जिस में से एक शोध माइकल बामशाद ने लिखा था जिसको सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने भी मान्यता दी थी, जबकि दूसरा शोध राजीव दीक्षित नाम के एक ब्राह्मण ने स्वयं किया था। दोनों शोधों में पाया गया था कि ब्राह्मण, बनिया और क्षत्रिय यूरेशिया मूल के लोग है। अगर धर्म शास्त्रों को आधार मान लिया जाये तो इस से यह बात भी साफ़ हो जाती है कि यह आर्य लोग समुद्र में भटकते हुए दक्षिण इंडिया के समुद्र तट पर पहुंचे थे। ऋग्वेद, भागवत पुराण, दुर्गा सप्तसती के अनुशार पानी से सृष्टि की उत्पति के सिद्धांत से भी इस बात का पता चल जाता है कि आर्य लोग इंडिया में समुद्र के रास्ते आये थे। अर्थात आर्यों को पानी के बीच में धरती दिखाई दी थी या मिली थी। इसीलिए हिंदू धर्म शास्त्रों में कहा जाता है कि धरती की उत्पति पानी से हुई है।उस समय इंडिया के मूलनिवासी बहुत ही भोले भाले और सभ्य होते थे। इंडिया में सिंधु घाटी की सभ्यता स्थापित थी। जो उस समय संसार की सबसे उन्नत सभ्यताओं में से एक थी। इंडिया के मूलनिवासी देखने में सांवले और ऊँची कद काठी के और मजबूत शरीर के होते थे। इसके विपरीत आर्य लोग यूरेशिया से आये थे जो एक ठंडा देश है। और वहाँ के लोगों को कम मात्र में सूर्य की रोशनी मिलने से वहाँ के लोग साफ़ रंग के होते थे। यह बात वैज्ञानिक भी प्रमाणित कर चुके है कि ठन्डे प्रदेश के लोगों की चमड़ी का रंग साफ़ होता है। इसी चमड़ी के रंग का फायदा उठा कर आर्यों ने खुद को देव घोषित किया। समय के साथ आर्यों ने देश में अपनी सता स्थापित करने के लिए प्रयास शुरू किये। आर्य लोगों ने इंडिया की सभ्यता को नष्ट करना शुरू करके अपनी सभ्यता स्थापित करने के लिए हर तरह से पूरी कोशिश की। आर्य लोग छल, कपट, प्रपंच और धोखा देने में प्रवीण थे। जिसके कारण बहुत से मूलनिवासी उनकी बातों में फंस जाते।इंडिया के मूलनिवासी राजा आर्यों के यज्ञ, बलि और तथाकथित धार्मिक अनुष्ठानों के खिलाफ थे। क्योकि इन अनुष्ठानों से पशु धन, अनाज और दूसरे प्रकार के धन की हानि होती थी। सिंधु घाटी सभ्यता के अनुसार अनाज को जलाना पाप माना जाता था, जबकि धार्मिक अनुष्ठानों की आड़ में आर्य लोग अयाशी करते थे। ऋग्वेद को पढ़ने पर पता चलता है कि आर्य लोग धर्म के नाम पर कितने निकृष्ट कार्य करते थे। अनुष्ठानों में सोमरस नामक शराब का पान किया जाता था, गाये, बैल, अश्व, बकरी, भेड़ आदि जानवरों को मार कर उनका मांस खाया जाता था।जैसे की दक्षिण भारत मे हमारे एक महान पूर्वज राजा “महिषासुर” थे जिन्हे इन भगवान की नकली कहानियों मे असुर बताया गया है, जबकि वो एक बहुत विकसित राज्य के राजा थे , उसका सबूत उनके नाम पर कर्नाटक मे मौजूद प्रसिद्ध शहर (महिससुर) “मैसूर” है , जहां उनकी प्रतिमा भी मौजूद है।और प्राचीन केरल राज्य के हमारे महान राजा “बलि” जिनसे उनका राजपाट छल से आर्यों के एक राजा (विष्णु का “बामन” अवतार) ने हड़प लिया था, उनके नाम पर आज भी समुद्र मे मौजूद द्वीप (एक देश) बलि (बालि, जावा, सुमात्रा) नाम से है। जैसे उतर प्रदेश स्थित हरदोई, जिसका नाम कभी हरिदोई था, जिस नाम को बदला गया जहां का राजा हिरण्यकश्यप जिसकी षड्यंत्र के द्वारा हत्या की गई,इन विदेशी आर्यों अर्थात ब्राह्मण, वैश्य और क्षत्रियों ने हमारे इस ऐतिहासिक तथ्य को नष्ट करने के लिए उसको तोड़ मरोड़ दिया और उसमे “विष्णु” और उसका बहरूपिये पात्र “नृसिंह अवतार” की कहानी घुसेड़ दी। जिसकी वजह से आज हम अपने ही पूर्वजो को बुरा मानते आ रहे है, और इन लुटेरे आर्यों को भगवान मानते आ रहे है।अब समय आ गया है की हम अपने देश का असली इतिहास पहचाने और अपने पूर्वज राजा जो की असुर या दैत्य ना होकर वीर और पराक्रमी महान पुरुष हुआ करते थे उनका सम्मान करना सीखे और जिन्हे हम भगवान मानते है दरअसल वो हमारे गुनहगार है और हमारे पूर्वजो के हत्यारे है जिनकी पूजा और प्रतिष्ठा का हमे बहिष्कार करना है ।
 
!!! जय भीम !!!
 
==सन्दर्भ==