"अर्थशास्त्र": अवतरणों में अंतर

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== गणितीय अर्थशास्त्र ==
{{मुख्य|गणितीय अर्थशास्त्र}}
आधुनिक अर्थशास्त्र आधे से अधिक [[गणितीय मॉडल|गणितीय माडलों]], [[साध्य|साध्यों]], [[समीकरण|समीकरणों]] तथा [[सूत्र|फारमूलों]] (सुत्रों) में बंध गया है। पूर्व में [[सांख्यिकी]] का प्रयोग अर्थशास्त्री ऐच्छिक रूप से करते थे परंतु अब वह अर्थशास्त्र के हेतु अनिवार्य हो गया है। इसके अतिरिक्त [[अर्थमिति]] भी विकास माjiडलों में पूर्ण विकसित हो रही है। प्रवैगिक रूप में 'इन-पुट आउट-पुट विश्लेषण' से लेकर अर्थशास्त्र ने '[[खेल सिद्धान्त|गेम थ्योरी]]' तथा 'टेक्निकल फ्लो' तक निकाल डाला है। आर्थिक सिद्धांतों को स्पष्ट करने हेतु गणितीय औजारों का प्रयोग सब अर्थशास्त्री कर रहे हैं। [[रैखिक प्रोग्रामन|लिनियर प्रोग्रामिंग]]' तथा 'विभेदीकीकरण प्रक्रिया' के अंतर्गत अर्थशास्त्री गणितीय (विशेष बीजगणितीय सूत्रों से) दृश्य प्रभावों के साथ-साथ अदृश्य आर्थिक प्रभावों को भी दिखाने का प्रयत्न कर रहे हैं। गणना की छोटी मशीन से लेकर विशालतम [[कंप्यूटर]] तक अर्थशास्त्रियों की गणितीय प्रगति के व्यावहारिक रूप हैं। संभवत: अगले दो तीन दशक तक ऐसी विधियाँ अविष्कृत हो जाएँगी जिनसे गणितीय विधियों द्वारा अति संक्षेप में केवल निष्कर्ष प्राप्त होंगे तथा प्रक्रिया का कोई भी तालमेल बैठाना आवश्यक न होगा। आजकल अर्थशास्त्री गणितीय अर्थशास्त्र पद्धति पर सबसे अधिक निर्भर कर रहे हैं।{{मुख्य|गणितीय अर्थशास्त्र}}
 
== अल्पविकसित देशों का विकास ==
व्यावहारिक अर्थशास्त्र गरीब एवं साधनरहित देशों की व्यावहारिक समस्याओं को सुलझा रहा है। [[गुनार म्रिडल]] कृत ''[[एशियन ड्रामा]]'' संभवत: मार्क्स के ''[[दास कैपिटल]]'' के बाद सबसे बड़ा अर्थशास्त्रीय ग्रंथ प्रकाशित हुआ है जिसमें अल्पविकसित देशों की समस्याएँ सुलझाई गई हैं। अर्थशास्त्र की यह विचारधारा भी [[द्वितीय महायुद्ध]] के बाद उभरी है और इसका भी नित नवीन विस्तार हो रहा है। इसी के अंतर्गत [[योजनाकरण]] (प्लानिंग), पूंजी निर्माण तथा विदेशी सहायता जैसी वर्तमान अंतराष्ट्रीय समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।