"कैल्सियम": अवतरणों में अंतर

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इसके रासायनिक गुण अन्य क्षारीय मृदा तत्वों ([[स्ट्रांशियम]], [[बेरियम]] तथा [[रेडियम]]) की भाँति है। यह अभिक्रिया द्वारा द्विसंयोजकीय यौगिक बनाता है। ऑक्सीजन के साथ संयुक्त होने पर कैलसियम ऑक्साइड का निर्माण होता है, जिसे [[कली चूना]] और [[बिना बुझा चूना]] ([[quiklime]]) भी कहते हैं। पानी में घुलने पर [[कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड]] या [[शमित चूना]] या [[बुझा चूना]] ([[slaked lime]]) बनता है। यह [[क्षारीय]] पदार्थ है जिसका उपयोग गृह निर्माण कार्य में पुरतान काल से होता आया है। चूने में बालू, जल आदि मिलाने पर प्लास्टर बनता है, जो सूखने पर कठोर हो जाता है और धीरे-धीरे [[वायुमण्डल]] के [[कार्बन डाइऑक्साइड]] से अभिक्रिया कर कैलसियम कार्बोनेट में परिणत हो जाता है।
 
कैलसियम अनेक तत्वों (जैसे हाइड्रोजन, फ्लोरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन आयोडीन, नाइट्रोजन सल्फर आदि ) के साथ अभिक्रिया कर यौगिक बनता है। कैलसियम क्लोराइड, हाइड्रोक्साइड, तथा हाइपोक्लोराइड का एक मिश्रण [CaCI<sub>2</sub> Ca (OH)<sub>2</sub> H<sub>2</sub>O] और [CaOCI2] [[ब्लिचिंग पाउडर]] कहलाता है जो वस्त्रों आदि के [[विरंजन]] में उपयोगी है। कैलसियम कार्बोनेट तथा बाइकार्बोनेट भी उपयोगी है।<sub></sub>
 
[[अपचयन|अपाचयक]] तत्व होने के कारण कैलसियम अन्य धातुओं के निर्माण में काम आता है। कुछ धातुओं में कैलसियम मिश्रित करने पर उपयोगी [[मिश्रातु|मिश्र धातुएँ]] बनती हैं।
 
कैलसियम के यौगिक के अनेक उपयोग हैं। कुछ यौगिक (नाइट्रेट, फॉसफेट आदि) [[उर्वरक]] के रूप में उपयोग में आते है। [[कैलसियम कार्बाइड]] का उपयोग [[नाइट्रोजन स्थिरीकरण]] उद्योग में होता है और इसके द्वारा [[एसिटिलीन गैस]] बनाई जाती है। कैलसियम सल्फेट द्वारा [[प्लास्टर ऑफ पेरिस]] बनाया जाता है। इसके अतिरक्ति कुछ यौगिक चिकित्सा, पोर्स्लोिन उद्योग, काच उद्योग, चर्म उद्योग तथा लेप आदि के निर्माण में उपयोगी है।
 
भारत के प्राचीन निवासी कैलसियम के यौगिक तत्वों से परिचित थे। उनमें चूना (कैलसियम आक्साइड) मुख्य है। [[मोहनजोदड़ो]] और [[हड़प्पा]] के भग्नावशेषों से ज्ञात होता है तत्कालीन निवासी चूने का उपयोग अनेक कार्यों में करते थे। चूने के साथ कतिपय अन्य पदार्थों के मिश्रण से 'वज्रलेप' तैयार करने का प्राचीन साहित्य में प्राप्त होता है। [[चरक]] ने ऐसे क्षारों का वर्णन किया है जिनको विभिन्न समाक्षारों पर चूने की अभिक्रिया द्वारा बनाया जाता था। कुछ समय पूर्व [[उत्तर प्रदेश]] के [[बस्ती जिला|बस्ती]] जिले में कोपिया नामक एक स्थान से [[काँच]] बनाने के एक प्राचीन कारखाने के अवशेष प्राप्त हुए हैं। उसका काल लगभग पाँचवी शती ईसवी पूर्व अनुमान किया जाता है। वहाँ से मिली काँच की वस्तुओं की परीक्षा से ज्ञात हुआ है कि उस काल के काँच बनाने में चूने का उपयोग होता था।
 
== चित्र ==