"दशहरा": अवतरणों में अंतर
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ऐसा माना गया है कि शत्रु पर विजय पाने के लिए इसी समय प्रस्थान करना चाहिए। इस दिन [[श्रवण नक्षत्र]] का योग और भी अधिक [[शुभ]] माना गया है। युद्ध करने का प्रसंग न होने पर भी इस काल में राजाओं (महत्त्वपूर्ण पदों पर पदासीन लोग) को सीमा का उल्लंघन करना चाहिए। [[दुर्योधन]] ने [[पांडव|पांडवों]] को जुए में पराजित करके बारह वर्ष के वनवास के साथ तेरहवें वर्ष में अज्ञातवास की शर्त दी थी। तेरहवें वर्ष यदि उनका पता लग जाता तो उन्हें पुनः बारह वर्ष का वनवास भोगना पड़ता। इसी अज्ञातवास में [[अर्जुन]] ने अपना धनुष एक शमी वृक्ष पर रखा था तथा स्वयं वृहन्नला वेश में राजा [[विराट]] के यहँ नौकरी कर ली थी। जब गोरक्षा के लिए [[विराट]] के पुत्र [[धृष्टद्युम्न]] ने [[अर्जुन]] को अपने साथ लिया, तब अर्जुन ने शमी वृक्ष पर से अपने हथियार उठाकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त की थी। विजयादशमी के दिन भगवान रामचंद्रजी के लंका पर चढ़ाई करने के लिए प्रस्थान करते समय शमी वृक्ष ने भगवान की विजय का उद्घोष किया था। विजयकाल में शमी पूजन इसीलिए होता है।
[[चित्र:Dashai.jpg|right|thumb|300px|[[नेपाल]] में विजयादशमी के दिन बड़ों के सामने नतमस्तक होकर उनका [[आशीर्वाद]] लेने की परम्परा है।]]
आश्विनस्य सिते पक्षे दशम्यां तारकोदये।
यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थों धनुर्धरः।
==इन्हें भी देखें==
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