"नारायण दत्त तिवारी": अवतरणों में अंतर

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'''नारायण दत्त तिवारी''' (18 अक्टूबर 1925 – 18 अक्टूबर 2018) [[उत्तर प्रदेश]] और [[उत्तराखण्ड]] (तब उत्तरांचल) के भूतपूर्व मुख्यमन्त्री थे। वह [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के एक वरिष्ठ नेता थे।
 
वह उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री (1976-77, 1984-85, 1988-89) और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री (2002-2007) के रूप में कार्यरत थे। 1986 और 1988 के बीच, उन्होंने प्रधान मंत्री [[राजीव गांधी]] के मंत्रिमंडल में पहली बार विदेश मामलों के मंत्री और फिर वित्त मंत्री के रूप में भी कार्यरत थे। उन्होंने 2007 से 2009 तक [[आंध्र प्रदेश]] के गवर्नर[[आंध्र प्रदेश के राज्यपाल|राज्यपाल]] के रूप में भी रहें।
 
==प्रारंभिक जीवन और शिक्षा==
नारायण दत्त तिवारी का जन्म 1925 में [[नैनीताल जिला|नैनीताल जिले]] के बलूती गांव में हुआ था।<ref name=bio/> तब उत्तर प्रदेश का गठन नहीं हुआ था, और ये हिस्सा 1937 के बाद से भारत के यूनाइटेड प्रोविंस के तौर पर जाना जाता था। स्वतंत्रता के बाद संविधान लागू होने पर इसे उत्तर प्रदेश का नाम मिला। तिवारी के पिता पूर्णानंद तिवारी वन विभाग में अधिकारी थे। अत: उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी थी। [[महात्मा गांधी]] के [[असहयोग आंदोलन]] के आह्वान पर पूर्णानंद ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।<ref>Umachand Handa. ''History of Uttaranchal''. Indus Publishing, p. 210. 2002. {{ISBN|81-7387-134-5}}.</ref><ref name=bio>[http://profiles.incredible-people.com/narayan-datt-tiwari/ Narayan Datt Tiwari] profiles.incredible-people.com.</ref> नारायण दत्त तिवारी की शुरुआती शिक्षा [[हल्द्वानी]], [[बरेली]] और [[नैनीताल]] से हुई। अपने पिता के तबादले की वजह से उन्हें एक से दूसरे शहर में रहते हुए अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ी।<ref name=ap>[http://governor.ap.nic.in/governor/tiwari.html Biographical Sketch] [[Governor of Andhra Pradesh]], website.</ref>
 
अपने पिता की तरह ही वे भी स्वतंत्रता की लड़ाई में शामिल हुए। 1942 में वह [[ब्रिटिश सरकार]] की साम्राज्यवादी नीतियों के खिलाफ नारे वाले पोस्टर और पंपलेट छापने और उसमें सहयोग के आरोप में पकड़े गए। उन्हें गिरफ्तार कर नैनीताल जेल में डाल दिया गया। इस जेल में उनके पिता पूर्णानंद तिवारी पहले से ही बंद थे।<ref>''Uttar Pradesh District Gazetteers'', p. 64. [[Government of Uttar Pradesh]]. 1959.</ref> 15 महीने की जेल काटने के बाद वह 1944 में रिहा हुए। बाद में तिवारी ने [[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] से उन्होंने राजनीतिशास्त्र में एमए किया। उन्होंने एमए की परीक्षा में विश्वविद्याल में प्रथम आये। बाद में उन्होंने इसी विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री भी हासिल की। 1947 में आजादी के साल ही वह इस विश्वविद्यालय में छात्र यूनियन के अध्यक्ष चुने गए।<ref name=ap/><ref name=bio/> यह उनके राजनैतिक जीवन की पहली सीढ़ी थी।
 
== राजनीतिक जीवन ==
आजादी के बाद 1950 में उत्तर प्रदेश के गठन और 1951-52 में प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव में तिवारी ने नैनीताल (उत्तर) सीट से प्रजा समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर हिस्सा लिया।<ref>{{cite web|url=https://economictimes.indiatimes.com/news/politics-and-nation/n-d-tiwari-achievements-controversies-marked-his-long-run-in-politics/articleshow/66276013.cms|title=N D Tiwari: Achievements, controversies marked his long run in politics|publisher=Economic Times|accessdate=19 October 2018}}</ref> [[कांग्रेस]] की हवा के बावजूद वे चुनाव जीत गए और पहली विधानसभा के सदस्य के तौर पर सदन में पहुंचे। यह बेहद दिलचस्प है कि बाद के दिनों में कांग्रेस की सियासत करने वाले तिवारी की शुरुआत सोशलिस्ट पार्टी से हुई। 431 सदस्यीय विधानसभा में तब सोशलिस्ट पार्टी के 20 लोग चुनकर आए थे।<ref>{{cite web|url=https://indianexpress.com/article/india/veteran-politician-n-d-tiwari-dies-on-93rd-birthday-achievements-controversies-marked-his-long-run-in-politics-5408358/|title=Veteran politician N D Tiwari dies on 93rd birthday: Achievements, controversies marked his long run in politics|publisher=Indian Express|accessdate=19 October 2018}}</ref>
 
कांग्रेस के साथ तिवारी का रिश्ता 1963 से शुरू हुआ। 1965 में वह कांग्रेस के टिकट से काशीपुर विधानसभा क्षेत्र से चुने गए और पहली बार मंत्रिपरिषद में उन्हें जगह मिली।<ref>{{cite web|url=https://www.timesnownews.com/india/article/nd-tiwari-dead-death-dies-only-politician-to-have-served-as-chief-minister-of-two-states-passed-away-on-his-birthday/301155|title=ND Tiwari only politician to have served as Chief Minister of two states, passes away on his birthday|publisher=Times Now News|accessdate=19 October 2018}}</ref> कांग्रेस के साथ उनकी पारी कई साल चली। 1968 में जवाहरलाल नेहरू युवा केंद्र की स्थापना के पीछे उनका बड़ा योगदान था।<ref>{{cite web|url=http://jnnyc-haridwar.org/our_founder.html|title=Our Founder|publisher=JNNYC Haridwar|accessdate=19 October 2018}}</ref> 1969 से 1971 तक वे कांग्रेस की युवा संगठन के अध्यक्ष रहे। 1 जनवरी 1976 को वह पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। यह कार्यकाल बेहद संक्षिप्त रहा।<ref name=bio/> 1977 के जयप्रकाश आंदोलन की वजह से 30 अप्रैल को उनकी सरकार को इस्तीफा देना पड़ा।
तिवारी तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वह अकेले राजनेता हैं जो दो राज्यों के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उत्तर प्रदेश के विभाजन के बाद वे उत्तरांचल के भी मुख्यमंत्री बने। केंद्रीय मंत्री के रूप में भी उन्हें याद किया जाता है। 1990 में एक वक्त ऐसा भी था जब [[राजीव गांधी]] की हत्या के बाद प्रधानमंत्री के तौर पर उनकी दावेदारी की चर्चा भी हुई। पर आखिरकार कांग्रेस के भीतर [[पी वी नरसिंह राव|पीवी नरसिंह राव]] के नाम पर मुहर लग गई।<ref>[https://www.nytimes.com/1991/05/26/world/congress-party-jostles-to-fill-void-left-by-gandhi-s-assassination.html The second-most-popular candidate is Narayan Datt Tiwari...] [[New York Times]], 26 May 1991.</ref> बाद में उन्होंने 2002 से 2007 के बीच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया, जिसे उत्तर प्रदेश से विभाजित कर बनाया गया था।<ref name=dies>{{cite web|url=https://timesofindia.indiatimes.com/city/dehradun/former-up-uttarakhand-cm-nd-tiwari-passes-away-at-delhi-hospital/articleshow/66273894.cms|title=Former UP, Uttarakhand CM ND Tiwari passes away at Delhi hospital|accessdate=19 October 2018|publisher=Times of India}}</ref> 19 अगस्त 2007 को तिवारी आंध्रप्रदेश के राज्यपाल बनाए गए लेकिन यहां उनका कार्यकाल बेहद विवादास्पद रहा।
 
18 जनवरी 2017 को, अपने बेटे रोहित शेखर तिवारी (वकील और पूर्व सलाहकार, उत्तर प्रदेश सरकार) और अपनी पत्नी डॉ. उज्ज्ववाला तिवारी के साथ, वे [[भाजपा]] अध्यक्ष [[अमित शाह]] की उपस्थिति में उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश राज्यों में आयोजित विधानसभा चुनावों के लिए [[नरेंद्र मोदी]] और बीजेपी को अपना आशीर्वाद और समर्थन दिया।<ref>[http://timesofindia.indiatimes.com/india/nd-tiwari-son-blessings to-bjp/articleshow/56642428.cms Congress veteran ND Tiwari, son blesssings to BJP]</ref><ref>[http://timesofindia.indiatimes.com/city/dehradun/state-govt-showing-disrespect-to-nd-tiwari-says-son/articleshow/55986166.cms? State govt showing disrespect to ND Tiwari, says son]</ref><ref>[http://www.ndtv.com/india-news/narayan-datt-tiwari-91-is-the-bjps-latest-import-from-congress-package-deal-includes-son-1650028 Narayan Datt Tiwari, 91, Is The BJP's Latest Import From Congress; Package Deal Includes Son Rohit Shekhar Tiwari]</ref>
 
== व्यक्तिगत जीवन ==
1954 में, उन्होंने सुशीला (नी संवाल) से विवाह किया, और 1991 में उनकी पत्नि की मृत्यु हो गई।<ref>[http://news.webindia123.com/news/articles/India/20091226/1413071.html End of the road for Tiwari]</ref><ref>[http://www.indianexpress.com/news/on-tiwaris-turf/570942/0] Cite: ''"But charges of misgovernance and of people having free access to him continue to dog him. Sources close to him say some of his aides exploited the vacuum in his domestic setup—his wife Sushila, a doctor in Lucknow, died over 10 years ago."''</ref> 14 मई 2014 को, 88 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने जैविक पुत्र रोहित शेखर की मां उज्ज्ववाला तिवारी से विवाह किया।<ref>{{cite web|title=Former UP CM, ND Tiwari marries Ujjwala tiwari at 88|url=http://news.biharprabha.com/2014/05/former-up-cm-nd-tiwari-marries-ujjwala-tiwari-at-88/|work=IANS|publisher=news.biharprabha.com|accessdate=15 May 2014}}</ref>
 
पूर्व राज्यपाल और दो राज्यों के एक मात्र पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने लंबी बीमारी के बाद राजधानी [[दिल्ली]] के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में 18 अक्टूबर 2018 को अपराह्न 2.50 बजे अंतिम सांसे ली।<ref>{{cite news |title=Former Uttarakhand Chief Minister, N.D. Tiwari, Dies At 93 In Delhi |url=https://headlinestoday.org/national/3821/former-uttarakhand-chief-minister-n-d-tiwari-dies-at-93-in-delhi/ |accessdate=20 October 2018 |agency=''Headlines Today'' |date=18 October 2018}}</ref>
 
==विवाद==
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी को आज उस समय बड़ा झटका लगा, जब [[दिल्ली हाईकोर्ट]] में उनके रक्त के नमूने संबंधी डीएनए रिपोर्ट सार्वजनिक किया गया और उस रिपोर्ट के अनुसार पितृत्च वाद दायर करने वाले रोहित शेखर तिवारी ही एनडी तिवारी के बेटे हैं।<ref name=ndtv/>
 
दिल्ली में रहने वाले 32 साल के रोहित शेखर तिवारी का दावा है कि एनडी तिवारी ही उसके जैविक पिता हैं और इसी दावे को सच साबित करने के लिए रोहित और उसकी मां उज्ज्वला तिवारी ने 4 साल पहले यानी 2008 में अदालत में एन डी तिवारी के खिलाफ पितृत्व का केस दाखिल किया था।<ref name=ndtv/>