"समुद्रगुप्त": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
No edit summary टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 17:
'''समुद्रगुप्त''' (राज 335-380) [[गुप्त राजवंश]] के चौथे राजा और [[चन्द्रगुप्त प्रथम]] के उत्तराधिकारी थे वे धनानंद के समकक्ष थे एवं पूर्वी पाटलिपुत्र उनके साम्राज्य की राजधानी थी। वे वैश्विक इतिहास में सबसे बड़े और सफल सेनानायक एवं सम्राट माने जाते हैं। समुद्रगुप्त, गुप्त राजवंश के चौथे शासक थे, और उनका शासनकाल भारत के लिये स्वर्णयुग की शुरूआत कही जाती है। समुद्रगुप्त को गुप्त राजवंश का महानतम राजा माना जाता है। वे एक उदार शासक, वीर योद्धा और कला के संरक्षक थे। उनका नाम जावा पाठ में तनत्रीकमन्दका के नाम से प्रकट है। उनका नाम समुद्र की चर्चा करते हुए अपने विजय अभियान द्वारा अधिग्रहीत शीर्ष होने के लिए लिया जाता है जिसका अर्थ है "महासागर"। समुद्रगुप्त के कई अग्रज भाई थे, फिर भी उनके पिता ने समुद्रगुप्त की प्रतिभा के देख कर उन्हें अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया। इसलिए कुछ का मानना है कि चंद्रगुप्त की मृत्यु के बाद, उत्तराधिकारी के लिये संघर्ष हुआ जिसमें समुद्रगुप्त एक प्रबल दावेदार बन कर उभरे। कहा जाता है कि समुद्रगुप्त ने शासन पाने के लिये अपने प्रतिद्वंद्वी अग्रज राजकुमार काछा को हराया था। समुद्रगुप्त का नाम [[सम्राट अशोक]] के साथ जोड़ा जाता रहा है, हलांकि वे दोनो एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न थे। एक अपने विजय अभियान के लिये जाने जाते थे और दूसरे अपने जुनून के लिये जाने जाते थे।
[[चित्र:Samudracoin1.jpg|right|thumb|300px|गुप्तकालीन मुद्रा पर वीणा बजाते हुए समुद्रगुप्त का चित्र]]
समुद्र्गुप्त भारत के महान शासक थे जिन्होंने अपने जीवन काल मे कभी भी पराजय का स्वाद नही चखा। उनके बारे में वि.एस स्मिथ आकलन किया है कि नेपोलियन "[[फ्रांस]] का [[समुद्रगुप्त]]"
== परिचय ==
|