"महमद षष्ठ": अवतरणों में अंतर

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'''महमद षष्ठ''' ({{lang-ota|محمد السادس}} ''मेहमेत-इअ सासिस'', {{lang|ota-Arab|وحيد الدين}} ''वहीदुद्दीन'', {{lang-tr|Vahideddin}} या {{lang|tr|Altıncı Mehmet}} छठवें महमद) [[उस्मानी साम्राज्य]] के 36वें और आख़िरी शासक थे जो अपने भाई [[महमद पंचम]] के बाद 1918 से 1922 तक तख़्त पर नशीन रहे। उन्हें 4 जुलाई 1918 को साम्राज्य के संस्थापक [[उस्मान प्रथम]] की तलवार से नवाज़ कर 36वें सुल्तान की ज़िम्मेदारियाँ दी गई थीं।
 
== जीवनी ==
उनका जन्म को दोल्माबाहचा महल, [[क़ुस्तुंतुनिया]] में हुआ था।<ref>{{citation|title=The Encyclopædia Britannica|volume=7|editor-first=Hugh|editor-last=Chisholm|year=1911|number=3|quote=Constantinople, the capital of the Turkish Empire}}.</ref><ref>[http://concise.britannica.com/ebc/article-9368294/Istanbul Britannica, Istanbul]:''When the Republic of Turkey was founded in 1923, the capital was moved to Ankara, and Constantinople was officially renamed Istanbul in 1930.''</ref>
 
== शासन ==
उनके दौर का सबसे अहम और बड़ा वाक़िया [[पहला विश्व युद्ध]] था जो साम्राज्य के लिए विनाशकारी साबित हुआ। युद्ध में पराजित होने के नतीजे में बर्तानवी सेनाओं ने [[बग़दाद]] और [[फ़िलिस्तीन]] पर क़ब्ज़ा कर लिया और साम्राज्य का अधिकांश हिस्सा मित्रदेश बलों के अधीन आ गया। अप्रैल 1920 की सैनरेमो कॉन्फ़्रैंस के नतीजे में [[सीरिया|शाम]] पर [[फ़्रांस]] और [[फ़िलिस्तीन]] और [[मेसोपोटामिया]] पर बर्तानिया का अधिकार स्वीकार कर लिया गया। 10 अगस्त 1920 को सुल्तान के प्रतिनिधियों ने समझौते पर दस्तख़त किए जिसके नतीजे में [[अनातोलिया]] और [[इज़मिर|इज़्मिर]] उस्मानी साम्राज्य के क़ब्ज़े से निकल गए और तुर्की का हल्का असर ज़्यादा सिकुड़ गया जबकि समझौते के नतीजे में उन्हें [[हिजाज़]] में [[सउदी अरब|आज़ाद राज्य]] को भी स्वीकार करना पड़ा।
 
तुर्क राष्ट्रवादी सुल्तान द्वारा समजौते को स्वीकार करने के फ़ैसले पर सख़्त नाराज़ थे और उन्होंने 23 अप्रैल 1920 को [[अंकारा, तुर्की|आंकारा]] में [[मुस्तफ़ा कमाल अतातुर्क]] की "''ज़ेर क़ियादतभव्य तुर्क मिल्लतराष्ट्रीय सभा मजलिस''"([[तुर्कीयाई भाषा|तुर्कीयाई]]: तुर्क बयोक मिल्लत मजलिसी) का ऐलान किया।किया गया। सुल्तान महमद षष्ठ को तख़्त से उतार दिया गया और आर्ज़ी संविधान प्रख्यापित किया गया। राष्ट्रवादियों ने स्वतंत्रता संग्राम में कामयाब होने के बाद नवंबर 1922 को औपचारिक रूप से उस्मानी साम्राज्य की समाप्ति का ऐलान किया और सुल्तान को नापसंदीदा शख़्सियत क़रार देते हुए मुल्क से निर्वासित कर दिया गया जो 17 नवंबर को बज़रीया बर्तानवी समुद्री जहाज़ [[माल्टा]] रवाना हो गए और बाद में उन्होंने अपनी बाक़ी की ज़िंदगी [[इटली]] में गुज़ारी। 19 नवंबर 1922 को उनके क़रीबी अब्दुल मजीद आफ़ंदी ([[अब्दुल मजीद द्वितीय]]) को नया ख़लीफ़ा चुना गया जो 1924 में ख़िलाफ़त की समाप्ति तक ये ज़िम्मेदारी निभाते रहे।

== मौत ==
महमद षष्ठ की मौत 16 मई 1926 को [[सैनरेमो]], इटली में हुआ और उन्हें [[दमिश्क़]] की सुल्तान सलीम प्रथम मस्जिद में दफ़नाया गया।<ref>Freely, John, ''Inside the Seraglio'', published 1999, Chapter 19: The Gathering Place of the Jinns</ref>
 
== सन्दर्भ ==