"चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य": अवतरणों में अंतर
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'''चन्द्रगुप्त
[[चित्र:Two Gold coins of Chandragupta II.jpg|thumb|300px|चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य की मुद्रा]]
'''चन्द्रगुप्त द्वितीय महान''' जिनको संस्कृत में '''[[विक्रमादित्य ६|विक्रमादित्य]]''' या '''चन्द्रगुप्त
== परिचय ==
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== साम्राज्य ==
चंद्रगुप्त का साम्राज्य सुविस्तृत
साम्राज्य को शासन की सुविधा के लिये विभिन्न इकाइयों में विभाजित किया गया था। सम्राट् स्वयं राज्य का सर्वोच्च अधिकारी था। उसकी सहायता के लिये मंत्रिपरिषद् होती थी। राजा के बाद दूसरा उच्च अधिकारी युवराज होता था। मंत्री मंत्रिपरिषद् का मुख्य अधिकारी एवं अध्यक्ष था। चंद्रगुप्त द्वितीय के मंत्री शिखरस्वामी थे। इन्हें [[करमदांड अभिलेख]] में कुमारामात्य भी कहा है। इस संबंध में यह ज्ञातव्य है कि गुप्तकाल में युवराजों के साहाय्य के लिये स्वतंत्र परिषद् हुआ करती थी। वीरसेन शाब को 'अन्वयप्राप्तसचिव' कहा है। ये चंद्रगुप्त के सांधिविग्रहिक थे। किंतु सेनाध्यक्ष संभवत: आम्रकार्दव थे। चंद्रगुप्त के समय के शासकीय विभागों के अध्यक्षों में (1) कुमारामात्याधिकरण (2) बलाधिकरण (3) रणभांडाधिकरण (4) दंडपाशाधिकरण (5) विनयशूर (6) महाप्रतीहार (7) तलवर (?) (8) महादंडनायक (9) विनयस्थितिस्थापक (10) भटाश्वपति और (11) उपरिक आदि मुख्य हैं।
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