"परमार भोज": अवतरणों में अंतर

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:'''पण्डिताः खण्डिताः सर्वे भोजराजे दिवं गते ॥'''
 
(आज भोजराज के दिवंगत हो जाने से धारा नगरी निराधार हो गयी है ; सरस्वती बिना आलम्ब की हो गयी हैं और सभी पंडित खंडित हैं।) राजा भोज ने सिकंदर महान से मुलाकात की वह मुलाकात कुछ इस तरह हुई । सिकंदर: मैं शाह-ए- उज्जयिनी का इस्तकबाल करता हूँ । राजा भोज: ये कैसे संभव है में अपने से भी ज्यादा कद काठी के स्वामी को विश्व विजयी सिकंदर समझ रहा था लेकिन तुम विश्व विजयी तो क्या जनपद विजयी सिकंदर कहलाने लायक नहीं हो मूषक। सिकंदर : जंग कद काठी से नहीं जीती जा सकती है जंग इल्म से जीजीजीती जातींजाती है शाह। राजा भोज: हाँ हाँ ठीक है ठीक है सिकंदर ये मेरी चेतावनी है संसार जीत लिया पर्याप्त है लेकिन और अधिक का लालच करोगे तो संसार से जाओगे। एक और बात अगर तुमने नर्मदा नदी में अपने मन में परमार साम्राज्य पर हमला करने के विचार को बहा दिया हो तब तो ठीक है लेकिन अगर नर्मदा नदी पार करने का दुस्साहस किया तब तुम मारे जाओगे सिकंदर । और दोबारा अपने घर यूनान भी नहीं लौट पाओगे।
 
== परिचय ==