"कुंवर पृथ्वीराज": अवतरणों में अंतर

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'''कुंवर पृथ्वीराज''' जिन्हें पृथ्वी सिंह के नाम से भी इतिहास में जाना जाता है, [[मेवाड़]] के महाराणा रायमल के ज्येष्ठ पुत्र थे व इतिहास प्रसिद्ध महाराणा सांगा के बड़े भाई थे | सांगा व कुंवर पृथ्वीराज दोनों झाला राजवंश में जन्मी [[राणा रायमल]] की [[रानी रतनकंवर]] के गर्भ से जन्में थे | '''कुंवर पृथ्वीराज को अपनी तेज धावक क्षमता के कारण उड़ता राजकुमार केे नाम से जाना जाता है |'''
 
अपने अदम्य साहस, अप्रत्याशित वीरता, दृढ निश्चय, युद्धार्थ तीव्र प्रतिक्रिया व अपने अदम्य शौर्य के लिए दूर दूर तक जाने जाते थे| इतिहासकारों के अनुसार अपने इन गुणों से “पृथ्वीराज को लोग देवता समझते थे|” पृथ्वीराज एक ऐसे राजकुमार थे जिन्होंने अपने स्वयं के बलबूते सैन्य दल व उसके खर्च के लिए स्वतंत्र रूप से आर्थिक व्यवस्था कर मेवाड़ के उन कई उदण्ड विरोधियों को दंड दिया जो मेवाड़ राज्य की परवाह नहीं करते थे| इतिहासकारों के अनुसार यदि पृथ्वीराज की जहर देकर हत्या नहीं की गई होती और वे मेवाड़ की गद्दी पर बैठते तो देश का इतिहास कुछ और ही होता| यदि राणा रायमल का यह ज्येष्ठ पुत्र पृथ्वीराज जीवित होता और सांगा के स्थान मेवाड़ का महाराणा बनता, उन परिस्थितियों का विश्लेषण करते हुए हरविलास शारडा अपनी पुस्तक “[[राणा सांगा|महाराणा सांगा]]<nowiki/>” के पृष्ठ 36 पर लिखते है- “यदि पृथ्वीराज [[मेवाड़]] की भाग्यलक्ष्मी के नेता होने को जीवित रहते तो वहां के इतिहास का मार्ग और ही तरह का होता और “सावधान सांगा के स्थान में पृथ्वीराज की निर्भयतापूर्वक वीरता और अदम्य शौर्य के अधीन राजपूत वीरत्व के हाथों भारत में तुर्क ([[मुग़ल साम्राज्य|मुग़ल]]) वंश के मूल-संस्थापक की क्या गति होती?” इस विषय में कर्नल टॉड का कथन है कि उसका अनुमान करना भी असंभव है, तो भी एक बात निश्चित है कि यदि अपनी प्रारंभ की पराजयों के पश्चात बाबर को सांगा के स्थान में पृथ्वीराज का सामना करना पड़ता तो बहुत संभव है कि फरवरी 1527 में [[खानवा का युद्ध|खानवा की लड़ाई]] में साहसी (बाबर) हार जाता और भारत भूमि उतर पश्चिम के आक्रमणकारियों से फिर एक बार मुक्त हो जाती|”
 
“उसकी देह लोहे की बनी थी, आत्मा भी अग्नि की|

सदा संकट में निडर था, अथक था, अति परिश्रमी||
 
इसी तरह कुंवर पृथ्वीराज के एक और साहसपूर्ण आक्रमण का इतिहास में जिक्र है- उनकी भुआ ([[महाराणा कुम्भा]] की पुत्री) रमाबाई जिनका विवाह गिरनार के राजा मंडलीक के साथ हुआ था, पति पत्नी में अनबन थी, जिसके चलते मंडलीक अपनी पत्नी रमाबाई के साथ दुर्व्यवहार करता था| इस बात का समाचार पृथ्वीराज को मिला तो वह त्वरित गति से कुछ चुनिन्दा वीरों को लेकर गिरनार उसके महल में जा पहुंचा और मंडलीक ने पृथ्वीराज से दया की भीख मांगी| पृथ्वीराज ने दंड स्वरुप उसके कान का थोड़ा हिस्सा काटा और रमाबाई को लेकर मेवाड़ आ गया|
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सारंगदेव जिसने स्वयं के राज्य लोभ के चलते तीनों भाइयों के बीच राज्य के उतराधिकार की लड़ाई शुरू करवाई थी, द्वारा मालवे के सुल्तान नासिरुद्धीन के साथ एक बड़ी सेना लेकर मेवाड़ पर आक्रमण किया, तब मेवाड़ [[राणा रायमल|महाराणा रायमल]] ने उनका मुकबला किया और घायल हुए, लेकिन आक्रमण के समाचार सुनते ही पृथ्वीराज अपने एक हजार राजपूतों के साथ अपनी चीर-परिचित गति से पहुंचे और युद्ध का नतीजा ही बदल दिया| सारंगदेव व पृथ्वीराज के बीच बहुत ज्यादा मुठभेड़े हुई थी| लेकिन युद्ध के बीच दोनों चाचा भतीजा ऐसे मिलते थे जैसे दोनों के बीच कोई शत्रुता ही ना हो|
 
गिरनार विवाद की तरह ही एक दिन अचानक उनकी बहन का दुखभरा पत्र मिला, जिसमें उनकी बहन आनंदाबाई के पति सिरोही के शासक राव जगमाल के दुर्व्यवहार व अत्याचार की शिकायत के साथ अपनी रक्षा व मेवाड़ में शरण दिलाने की याचना थी| बहन का यह पत्र पढ़कर कुंवर पृथ्वीराज तत्काल [[सिरोही]] की और कुछ गए और आधी रात को जगमाल के महल में जा पहुंचे| कुंवर पृथ्वीराज उस निर्दयी को मौत के घाट उतारने ही वाले थे कि उनकी बहन को अपने पति पर दया आ गई और उसने उसके प्राणों की भीख मांग ली| कुंवर पृथ्वीराज ने जगमाल को छोड़ दिया | जगमाल ने दूसरे दिन पृथ्वीराज का अपने दरबार में स्वागत-सत्कार किया और विदाई के वक्त तीन गोलियां (माजून की गोलियां जिन्हें बनाने में उसकी प्रसिद्धि थी) भेंट की| कुम्भलगढ़ के पास पहुँचते समय पृथ्वीराज ने अपने बहनोई द्वारा दी गई गोलियां खा ली, जिनमें जहर मिला हुआ था और खाते ही उनकी मृत्यु हो गई| इस तरह भारत का मेवाड़ की गद्दी का घोषित योग्यतम उतराधिकारी जो एक निर्भीक वीर, अदम्य साहसी, अप्रितम शौर्य का प्रतीक, दृढ निश्चयी, दुश्मन पर तीव्रता से आक्रमण करने वाला, जिसकी हिन्दुतान को भविष्य में जरुरत थी अपने बहनोई के विश्वासघात की बलि चढ़ गया|
 
उड़ता राजकुमार पृथ्वीराज की छतरी [[कुम्भलगढ़ दुर्ग|कुंभलगढ़ दुर्ग]] में देखी जाती है |