"काशीनाथ सिंह": अवतरणों में अंतर
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सन् 2002 में प्रकाशित 'काशी का अस्सी' को उनका सबसे महत्त्वपूर्ण काम माना जाता है। यह घाटों, अजीब पात्रों और 1970 के दशक के छात्र राजनेताओं के जीवन के अंदरूनी चित्र की तरह लिखा गया है । उपन्यास वाराणसी के रंगीन जीवन के विस्तृत चित्रण में अद्वितीय माना जाता है।
काशीनाथ सिंह साहित्यिक व्यक्तित्वों के जीवन से सम्बद्ध संस्मरण-लेखन की अपनी अनूठी शैली के लिए भी जाने जाते हैं। उनके संस्मरणों को शरद जोशी पुरस्कार-प्रप्त 'याद हो कि न याद हो' तथा 'आछे दिन पाछे गये' में संकलित किया गया है। नामवर सिंह के जीवन पर केंद्रित संस्मरण-पुस्तक है 'घर का जोगी जोगड़ा'। 'काशी का अस्सी' के अंशों को प्रसिद्ध निर्देशक उषा गांगुली द्वारा रंगमंच पर प्रस्तुत किया गया है और इसी उपन्यास पर चंद्रप्रकाश द्विवेदी द्वारा फीचर फिल्म
काशीनाथ सिंह को 2011 में उनके उपन्यास 'रेहन पर रग्घु' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। हाल के दिनों में 'काशी का अस्सी' पर आधारित एक नाटक 'काशीनामा' भारत और विदेशों में 125 बार आयोजित किया गया है।
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