"ताड़का": अवतरणों में अंतर

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[[रामायण]] की एक पात्र। यह [[सुकेतु]] [[यक्ष]] की पुत्री थी जिसका विवाह [[सुड]] नामक [[राक्षस]] के साथ हुआ था। यह [[अयोध्या]] के समीप स्थित [[सुंदर वन]] में अपने पति और दो पुत्रों [[सुबाहु]] और [[मारीच]] के साथ रहती थी। उसके शरीर में हजार हाथियों का बल था। उसके प्रकोप से सुंदर वन का नाम ताड़का वन पड़ गया था। उसी वन में [[विश्वामित्र]] सहित अनेक ऋषि-मुनि भी रहते थे। उनके जप, तप और यज्ञ में ये राक्षस गण हमेशा बाधाएँ खड़ी करते थे। विश्वामित्र राजा [[दशरथ]] से अनुरोध कर [[राम]] और [[लक्ष्मण]] को अपने साथ सुंदर वन लाए। राम ने ताड़का का और विश्वामित्र के यज्ञ की पूर्णाहूति के दिन सुबाहु का भी वध कर दिया। मारीच उनके बाण से आहत होकर दूर दक्षिण में समुद्र तट पर lजाजा गिरा,गिरा। tharaka ka Nivas Sthan Buxar tha market tharaka Tadka Buxar ka purana Naam Prachin Naam Vishwamitra ki nagri se Pehchan Tum bol rahe ho yeh sab haan hum bol rahe hain Tumko Hum To Hamar Baba vatapatra lanky Buxar Mein Takkar ami je ke Ramji Hamare Ramji Ro Ke Mar Ke Vishwamitra ki nagri Mein batao nangi bahut achchi Bahoti hai ye Ramayan mein zikr hai Ramayan kaal mein hai
 
== जन्म ==
सुकेतु नाम का एक अत्यंत बलवान यक्ष था। उसकी कोई भी सन्तान नहीं थी। अतः सन्तान प्राप्ति के उद्देश्य से उसने [[ब्रह्मा]] जी की कठोर तपस्या की। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उसे सन्तान होने का वरदान दे दिया और उस वर के परिणामस्वरूप ताड़का का जन्म हुआ। सुकेतु ने ब्रह्मा जी से ताड़का के अत्यंत बली होने का वर भी ले लिया और ब्रह्मा जी ने उसके शरीर में हजार हाथियों का बल दे दिया।