"वैदिक सभ्यता": अवतरणों में अंतर

→‎नाम और देशकाल: मैंने इसमें वैदिक काल रचना जो लिखी हुई नहीं थी वो बताई
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वैदिक सभ्यता का नाम ऐसा इस लिए पड़ा कि वेद उस काल की जानकारी का प्रमुख स्रोत हैं। वेद चार है - [[ऋग्वेद]], [[सामवेद]], [[अथर्ववेद]] और [[यजुर्वेद]]। इनमें से ऋग्वेद की रचना सबसे पहले हुई थी। ''ऋग्वेद में ही गायत्री मन्त्र है जो सविता(सूर्य) को समर्पित है।''
 
ऋग्वेद के काल निर्धारण में विद्वान एकमत नहीं है। सबसे पहले मैक्स मूलर ने वेदों के काल निर्धारण का प्रयास किया। उसने बौद्ध धर्म (550 ईसा पूर्व) <ref>http://aajtak.intoday.in/education/story/vedic-age-facts-sbout-indian-vedic-period-1-769603.html</ref>से पीछे की ओर चलते हुए वैदिक साहित्य के तीन ग्रंथों की रचना को मनमाने ढंग से 200-200 वर्षों का समय दिया और इस तरह ऋग्वेद के रचना काल को 1200 ईसा पूर्व के करीब मान लिया पर निश्चित रूप से उसके आंकलन का कोई आधार नहीं था। यह मैक्स मुलर द्वारा बताया गया जो बिलकुल निराधार हुआ जिसका तातपर्य कुछ नही था उसके समकालीन डब्लू टी व्हिटनी ने इसका विरोध किया तो उसने तब वह माना कि कोई भी ठीक तरीके से वेदों के इतिहास नही बता सकता है
 
वैदिक काल को मुख्यतः दो भागों में बांटा जा सकता है- ऋग्वैदिक काल और उत्तर वैदिक काल। ऋग्वैदिक काल आर्यों के आगमन के तुरंत बाद का काल था जिसमें कर्मकांड गौण थे पर उत्तरवैदिक काल में हिन्दू धर्म में कर्मकांडों की प्रमुखता बढ़ गई।