"मालवा": अवतरणों में अंतर

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दिल्ली के सुल्तानों के नियंत्रण से स्वाधीन मालवा प्रांत में पाँच प्रमुख शासक हुए -
 
[[होशंग शाह|हुसंगशाह]] (1406-1435 ई.) ,महमूद खलजी प्रथम (1436-1469 ई.), गयासुद्दीन (1469-1500 ई.), नासिरूद्दीन (1500-1511 ई.), तथा महमूद द्वितीय [[महमूद द्वितीय|ीय]] (1511-1531ई.) इन चार शासकों द्वारा [[माण्डू|मांडू]] , [[धार]] तथा [[चंदेरी]] में अनेक भवन निर्मित कराए|
 
अनेक ऐतिहासिक साक्ष्यों एवं भौगोलिक स्थिति के आधार पर प्राचीन मालवा के भौगोलिक विस्तार के संदर्भ में विभिन्न विद्वानों के अलग-अलग मत हैं। व्यापक अर्थ में यह उत्तर में [[ग्वालियर]] की दक्षिणी सीमा से लेकर दक्षिण में [[नर्मदा]] घाटी के उत्तरी तट से संलग्न महान विंध्य क्षेत्रों तक तथा पूर्व में विदिशा से लेकर राजपूताना की सीमा के मध्य फैले हुए भू-भाग का प्रतिनिधित्व करता है। इस प्रकार स्थूल रूप से यह पश्चिम में मेही नदी से लेकर पूर्व में धसान नदी तक तथा दक्षिण में निर्माड़ तथा सतपुड़ा तक फैली हुई है। [[दिनेश चंद्र सरकार]] के अनुसार 'मालवा', जो आकर-दशार्ण तथा अवन्ति प्रदेश का द्योतक है -- पश्चिम में अरावली पर्वतमाला, दक्षिण में विंध्य श्रेणी, पूर्व में बुंदेलखण्ड और उत्तर- पूर्व में गंगा- घाट से घिरा हुआ प्रदेश था, जिसमें मध्य भारत के आधुनिक [[इंदौर]], [[धार]], [[ग्वालियर]], [[भोपाल]], [[रतलाम]], [[गुना]] तथा [[सागर]] जिले के कुछ भाग सम्मिलित थे। डी. सी. गांगुली का मत है कि मालवा प्रदेश पूर्व में भिलसा (विदिशा) से लेकर पश्चिम में मेही नदी तक तथा उत्तर में कोटा राज्य से लेकर दक्षिण में ताप्ती नदी तक फैला हुआ था।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/मालवा" से प्राप्त