"माहेश्वर सूत्र": अवतरणों में अंतर

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:'''नृत्तावसाने नटराजराजो ननाद ढक्कां नवपञ्चवारम्। '''
:'''उद्धर्तुकामः सनकादिसिद्धान् एतद्विमर्शे शिवसूत्रजालम् ॥'''
 
अर्थात:-
"नृत्य (ताण्डव) के अवसान (समाप्ति) पर नटराज (शिव) ने [[सनकादि ऋषि]]यों की सिद्धि और कामना का उद्धार (पूर्ति) के लिये नवपंच (चौदह) बार डमरू बजाया। इस प्रकार चौदह शिवसूत्रों का ये जाल (वर्णमाला) प्रकट हुयी।"