"संथाली भाषा": अवतरणों में अंतर

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संथाली भाषा के सम्बन्ध में जो जानकारी उल्लेख किया गया था, वह त्रुटिपूर्ण था। संथाली, मुंडारी, हो इत्यादि भाषा में पूर्ण रूप से भाषा वैज्ञानिकों द्वारा शोध नहीं किया गया है अथवा शोध ही नहीं किया है। इन भाषाओं में शोध करने का कोई प्रमाण भाषा वैज्ञानिकों द्वारा अब तक प्रस्तुत नहीं किया गया है। आठवीं अनुसूची में शामिल संथाली ही एक मात्रा ऐसा भाषा है, जिसकी उत्पति संस्कृत से नहीं हुआ है। इसका अपना अलग भाषा विज्ञान है। भारत सरकार को लैंग्वेज कमिशन स्थापित कर भारतीय भाषाओं एंवम बोलियों का पुन: शोध क...
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{{Infobox language
|name=संथालीसंताड़ी
 
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|states=[[भारत]], [[बांग्लादेश]], [[नेपाल]], [[भूटान]]
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संताड़ी भाषा
'''संताली''' [[मुंडा भाषा परिवार]] की प्रमुख [[भाषा]] है। यह [[असम]], [[झारखंड]], [[उड़ीसा]], [[छत्तीसगढ]], [[बिहार]], [[त्रिपुरा]] तथा [[बंगाल]] में बोली जाती है।
संताड़ी दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप की भाषा है, जो विश्व की सबसे प्राचीन एवं समृद्ध भाषा में से एक है। यह खेरवाड़ जातीय समूह (ethnic group) की भाषा है, जिसे 'होड़ रोड़' अर्थात 'मनुष्यों की भाषा' भी कहा जाता है। संताड़ी भाषा भारत के झारखंड, ओडिसा, बिहार, बंगाल, असम, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम, नागालैंड राज्यों तथा विदेशों में पाकिस्तान, मलेशिया, सुमत्रा, जवा, न्यूजीलैड, नेपाल, भूटान, बंगलादेश आदि देशों में अल्पसंख्या रूप में बोली जानेवाली भाषा है। भारत में यह विशेष संवैधानिक दर्जा प्राप्त २२ अनुसूचित भाषाओं में से एक है तथा भारत के 'झारखंड' राज्य की आधिकारिक भाषा है। भारत के 'कुरुख, हो, मुंडारी, भूमिज, आसुरी, लोहरा, माहली, सावरा, रेमो, बिरजिया, बिरहोड़' आदि इसी भाषा से उत्पन्न हुई बोलियां हैं। संताड़ी भाषा की लेखन प्रणाली प्राचीन 'होड़ होपोन' (Harappan) सभ्यता में 'ओल बेल' (Indus Script) था, जिसे भाषा वैज्ञानिक रघुनाथ मुर्मू ने 'ओल चिकी' के रूप में 1925 में विकास किया। तब से संताड़ी भाषा को आधिकारिक रूप से ओल चिकी लिपि में ही लिखा जाता है।
 
संथाली, [[हो]] और [[मुंडारी]] भाषाएँ [[आस्ट्रो-एशियाई भाषा परिवार]] में मुंडा शाखा में आती हैं। संताल भारत, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान में लगभग ६० लाख लोगों से बोली जाती है। उसकी अपनी पुरानी लिपि का नाम 'ओल चिकी' है। अंग्रेजी काल में संथाली रोमन में लिखी जाती थी। भारत के उत्तर झारखण्ड के कुछ हिस्सोँ मे संथाली लिखने के लिये [[देवनागरी|ओल चिकी]] लिपि का प्रयोग होता है।
 
संतालों द्वारा बोली जानेवाली भाषा को संताली कहते हैं।
 
== इन्हें भी देखें ==