"देवदास (2002 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर
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== कहानी==
ये कहानी 1900 के दशक की है। कौशल्या को पता चलता है कि उसका छोटा बेटा, देवदास ([[शाहरुख खान]]) वापस घर आ रहा है। देवदास 10 साल पहले कानून की पढ़ाई करने के लिए [[इंग्लैंड]] गया था। उसके लौटने की खुशी में ये बात कौशल्या अपनी पड़ोस में रहने वाली सुमित्रा (किरण खेर) को भी बता देती है। इस खबर से वो भी खुश हो जाती है।
जब देवदास लौटता है तो पारो ([[ऐश्वर्या राय]]) और उसके बीच की बचपन की दोस्ती प्यार में बदल जाती है। सभी को ऐसा लगता है कि उन दोनों की जल्द शादी हो जाएगी, लेकिन कौशल्या को देवदास की भाभी, कुमुद (अनन्या खरे) बताती है कि पारो एक नाचने वाली लड़की है और उसे मुखर्जी परिवार में शामिल करना ठीक नहीं होगा। सुमित्रा सभी के सामने अपनी इच्छा रखती है कि देवदास और पारो की शादी हो जाये, पर कौशल्या सभी के सामने इस रिश्ते से मना कर देती है और कहती है कि वे लोग निचले दर्जे के लोग हैं। सुमित्रा इस बेज्जती को सह नहीं पाती और पारो की शादी एक 40 साल के बुड्ढे से तय कर देती है, जो तलाक़शुदा और 3 बच्चों का बाप है। वो ये शादी बस इस कारण तय करती है, क्योंकि उस बुड्ढे के पास मुखर्जी परिवार
वहीं देवदास के पिता भी पारो के साथ देव की शादी के लिए मना कर देते हैं। इस कारण देव अपना घर छोड़ देता है और कोठे में रहने लगता है। वो पारो को एक झूठी चिट्ठी लिखता है कि उन दोनों के बीच कभी प्यार नहीं था। कोठे में उसकी मुलाक़ात चन्द्रमुखी ([[माधुरी दीक्षित]]) नाम की तवायफ से होती है, उसे देव से प्यार हो जाता है। जल्द ही देव को एहसास होता है कि उसने पारो को छोड़ कर गलती किया है। वो उसके शादी के समय उसके पास वापस लौटता है, लेकिन पारो उसके साथ आने से मना कर देती है। वो उसे याद दिलाती है कि किस तरह उसने उसे अकेला छोड़ दिया था।
पारो को पता चलता है कि उसका पति उससे बस अपने बच्चों के लिए शादी किया है, लेकिन उसे सिर्फ अपनी पहली पत्नी से ही प्यार है। वो अपनी ओर से उन बच्चों का पूरी तरह ख्याल रखती है। वहीं पारो को हमेशा के लिए खो देने के कारण देवदास का दिल टूट जाता है, और वो वापस कोठे में बस जाता है और शराबी बन जाता है। जब देवदास के पिता मरने की स्थिति में आ जाते हैं तो वो अपने बेटे को देखने की इच्छा प्रकट करते हैं, लेकिन देव उनके पास उनके मरने के बाद आता है, वो भी शराब के नशे में धुत हो कर, और चला भी जाता है।
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शराब के कारण देवदास का हाल काफी बुरा हो जाता है और उसे पता चलता है कि अब शराब पीने से वो मर भी सकता है। वो ठीक होने के लिए अपने घर वापस आ जाता है। वहाँ उसे पता चलता है कि उसकी भाभी ने उसकी माँ की चाबी चुरा ली है। वो जब इस बारे में कुमुद से बात करता है तो वो उसकी माँ को बताती है कि देवदास ने ही चाबी चुराई है। उसकी माँ कुमुद की बातों में विश्वास कर लेती है और देवदास को घर से निकाल देती है। पारो को जब देवदास के हालत के बारे में पता चलता है तो वो चन्द्रमुखी के कोठे में आ कर उसे देवदास को शराब न पिलाने के बारे में कहती है, और उसे जल्द ही एहसास हो जाता है कि चन्द्रमुखी को देवदास से प्यार हो गया है। पारो अब देवदास से कहती है कि वो शराब पीना बंद कर दे, लेकिन वो उसकी कोई बात नहीं मानता और कहता है कि मरने से पहले अंतिम बार उसके घर के दरवाजे तक जरूर आएगा।
एक दिन ट्रेन में देवदास की मुलाक़ात उसके कॉलेज के दोस्त, चुन्नी बाबू ([[जेकी श्रोफ]]) से होती है। वो उसे अपने दोस्ती के नाम पर शराब पीला देता है। देवदास ये जानते हुए भी शराब पीता है, कि वो इस बार शराब पीने के बाद नहीं बच पाएगा। वो पारो को किया वादा निभाने के लिए पारो के घर जाता है। वो बाहर के दरवाजे के पास वाले पेड़ के नीचे गिर जाता है। पारो उसे देख कर उसके पास आने की कोशिश करती है, पर भुवन उसे देख कर नौकरों को दरवाजा बंद करने बोल देता है। देवदास को पारो की एक धुंधली सी छवि दिखती है और दरवाजा बंद हो जाता है। दरवाजे के पीछे पारो रोने लगती है और वहीं धीरे धीरे देवदास मौत के करीब बढ़ता जाता है। उसके मरते साथ ही पारो का दीया भी बुझ जाता है।
== कलाकार ==
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