"भारतीय दर्शन": अवतरणों में अंतर

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== ‘दर्शन’ शब्द का अर्थ ==
'दर्शन' शब्द [[पाणिनि|पाणिनीय]] व्याकरण के अनुसार 'दृश्-पश्यदृशिर् प्रेक्षणे' [[धातु]] से [[ल्युट् प्रत्यय]] करने से निष्पन्न होता है। अतएव दर्शन शब्द का अर्थ दृष्टि या देखना, ‘जिसके द्वारा देखा जाय’ या ‘जिसमें देखा जाय’ होगा। दर्शन शब्द का शब्दार्थ केवल देखना या सामान्य देखना ही नहीं है। इसीलिए पाणिनि ने धात्वर्थ में ‘प्रेक्षण’ शब्द का प्रयोग किया है। प्रकृष्ट ईक्षण, जिसमें अन्तश्चक्षुओं द्वारा देखना या मनन करके सोपपत्तिक निष्कर्ष निकालना ही दर्शन का अभिधेय है। इस प्रकार के प्रकृष्ट ईक्षण के साधन और फल दोनों का नाम दर्शन है। जहाँ पर इन सिद्धान्तों का संकलन हो, उन ग्रन्थों का भी नाम दर्शन ही होगा, जैसे-न्याय दर्शन, वैशेषिक दर्शन, मीमांसा दर्शन आदि-आदि।
 
दर्शन ग्रन्थों को '''दर्शनशास्त्र''' भी कहते हैं। यह [[शास्त्र]] शब्द ‘शासु अनुशिष्टौ’ से निष्पन्न है।