"देवदास (2002 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

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'''देवदास''' एक भारतीय नाट्य रूमानी हिन्दी फिल्म है। इस फिल्म का निर्देशन [[संजय लीला भंसाली]] और निर्माण भरत शाह ने ''रेड चिलिस एंटरटैनमेंट'' के बैनर तले किया था। ये फिल्म [[शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय]] के उपन्यास ''[[देवदास (उपन्यास)|देवदास]]'' पर आधारित है। इसमें [[शाहरुख़ खान]], [[ऐश्वर्या राय]] और [[माधुरी दीक्षित]] मुख्य किरदार में हैं। इसे 12 जुलाई 2002 को सिनेमाघरों में दिखाया गया। रिलीज पर भारत में मिश्रित समीक्षा प्राप्त करने के बावजूद, देवदास को पश्चिमी फिल्म आलोचकों के बीच समीक्षकों द्वारा प्रशंसित किया गया था, और इसे अब तक की सबसे महान फिल्मों में से एक माना जाता है। यह सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म के लिए [[ऑस्कर के लिए भारत की आधिकारिक प्रविष्टियों की सूची|भारत की ओर से अकादमी पुरस्कार में]] भी भेजी गई थी। देवदास ने [[फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार]] जीता था। फिल्म ने पांच [[राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार|राष्ट्रीय पुरस्कार]] और दस [[फिल्मफेयर पुरस्कार]] भी जीते। ऐसे यह ''[[दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे]]'' के साथ उस समय तक सबसे अधिक फ़िल्मफेयर पुरस्कारों के जीतने वाली फिल्म हुई थी (बाद में 2005 की भंसाली की ''[[ब्लैक (2005 फ़िल्म)|ब्लैक]]'' ने कीर्तिमान तोड़ दिया था)।
 
इस फिल्म को बनाने में कुल ₹50 करोड़ का खर्च आया और फिल्म रिलीज के समय ये [[बॉलीवुड]] की सबसे अधिक बजट वाली फिल्म थी। इसे [[हिन्दी]] के साथ साथ 6 अन्य भाषाओं में भी दिखाया गया। जिसमें [[अंग्रेजी़]], [[गुजराती]], [[फ्रांसीसी]], [[मंदारिन (चीनी)|मंदारिन]], [[थाई भाषा|थाई]] और [[पंजाबी]] शामिल है। यह फिल्म भारत और विदेशों में एक व्यावसायिक सफलता थी और साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म बन गई। शाहरुख खान ने अपने बैनर, [[रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट]] के तहत इस फिल्म के अधिकार खरीदे हैं।
 
== कहानी==
ये कहानी 1900 के दशक की है। कौशल्या ([[स्मिता जयकर]]) को पता चलता है कि उसका छोटा बेटा, देवदास ([[शाहरुख खान]]) वापस घर आ रहा है। देवदास 10 साल पहले कानून की पढ़ाई करने के लिए [[इंग्लैंड]] गया था। उसके लौटने की खुशी में ये बात कौशल्या अपनी पड़ोस में रहने वाली सुमित्रा ([[किरण खेर]]) को भी बता देती है। इस खबर से वो भी खुश हो जाती है।
 
जब देवदास लौटता है तो पारो ([[ऐश्वर्या राय]]) और उसके बीच की बचपन की दोस्ती प्यार में बदल जाती है। सभी को ऐसा लगता है कि उन दोनों की जल्द शादी हो जाएगी, लेकिन कौशल्या को देवदास की भाभी, कुमुद ([[अनन्या खरे]]) बताती है कि पारो एककी मातृ-संबंधी वंशावली नाचने वाली लड़की की है और उसे मुखर्जी परिवार में शामिल करना ठीक नहीं होगा। सुमित्रा सभी के सामने अपनी इच्छा रखती है कि देवदास और पारो की शादी हो जाये, पर कौशल्या सभी के सामने इस रिश्ते से मना कर देती है और कहती है कि वे लोग निचले दर्जे के लोग हैं। सुमित्रा इस बेज्जतीबेइज्जती को सह नहीं पाती और पारो की शादी मुखर्जी परिवार से अमीर एक 40 साल के बुड्ढे, ठाकुर भुवन चौधरी ([[विजयेन्द्र घटगे]]) से तय कर देती है, जो तलाक़शुदा और 3 बच्चों का बाप है। वो ये शादी बस इस कारण तय करती है, क्योंकि उस बुड्ढे के पास मुखर्जी परिवार से ज्यादा पैसे हैं।
 
वहीं देवदास के पिता भी पारो के साथ देव की शादी के लिए मना कर देते हैं। इस कारण देव अपना घर छोड़ देता है और कोठे में रहने लगता है। वो पारो को एक झूठी चिट्ठी लिखता है कि उन दोनों के बीच कभी प्यार नहीं था। कोठे में उसकी मुलाक़ात चन्द्रमुखी ([[माधुरी दीक्षित]]) नाम की तवायफ[[तवायफ़]] से होती है, उसे देव से प्यार हो जाता है। जल्द ही देव को एहसास होता है कि उसने पारो को छोड़ कर गलती कियाकी है। वो उसके शादी के समय उसके पास वापस लौटता है, लेकिन पारो उसके साथ आने से मना कर देती है। वो उसे याद दिलाती है कि किस तरह उसने उसे अकेला छोड़ दिया था।
 
पारो को पता चलता है कि उसका पति उससे बस अपने बच्चों की माँ बनने के लिएलिये शादी किया है, लेकिन उसे सिर्फ अपनी पहली पत्नी से ही प्यार है। वो अपनी ओर से उन बच्चों का पूरी तरह ख्याल रखती है। वहीं पारो को हमेशा के लिए खो देने के कारण देवदास का दिल टूट जाता है, और वो वापस कोठे में बस जाता है और शराबी बन जाता है। जब देवदास के पिता मरने की स्थिति में आ जाते हैं तो वो अपने बेटे को देखने की इच्छा प्रकट करते हैं, लेकिन देव उनके पास उनके मरने के बाद आता है, वो भी शराब के नशे में धुत हो कर, और चला भी जाता है।
 
शराब के कारण देवदास का हाल काफी बुरा हो जाता है और उसे पता चलता है कि अब शराब पीने से वो मर भी सकता है। वो ठीक होने के लिए अपने घर वापस आ जाता है। वहाँ उसे पता चलता है कि उसकी भाभी ने उसकी माँ से खानदान की तिजोरी की चाबी चुरा ली है। वो जब इस बारे में कुमुद से बात करता है तो वो उसकी माँ को बताती है कि देवदास ने ही चाबी चुराई है। उसकी माँ कुमुद की बातों में विश्वास कर लेती है और देवदास को घर से निकाल देती है। पारो को जब देवदास के हालत के बारे में पता चलता है तो वो चन्द्रमुखी के कोठे में आ कर उसे देवदास को शराब न पिलाने के बारे में कहती है, और उसे जल्द ही एहसास हो जाता है कि चन्द्रमुखी को देवदास से प्यार हो गया है। पारो अब देवदास से कहती है कि वो शराब पीना बंद कर दे, लेकिन वो उसकी कोई बात नहीं मानता और कहता है कि मरने से पहले अंतिम बार उसके घर के दरवाजे तक जरूर आएगा।
 
एक दिन ट्रेन में देवदास की मुलाक़ात उसके कॉलेज के दोस्त, चुन्नी बाबू ([[जैकी श्रॉफ]]) से होती है। वो उसे अपने दोस्ती के नाम पर शराब पीला देता है। देवदास ये जानते हुए भी शराब पीता है, कि वो इस बार शराब पीने के बाद नहीं बच पाएगा। वो पारो को किया वादा निभाने के लिए पारो के घर जाता है। वो बाहर के दरवाजे के पास वाले पेड़ के नीचे गिर जाता है। पारो उसे देख कर उसके पास आने की कोशिश करती है, पर भुवन उसे देख कर नौकरों को दरवाजा बंद करने बोल देता है। देवदास को पारो की एक धुंधली सी छवि दिखती है और दरवाजा बंद हो जाता है। दरवाजे के पीछे पारो रोने लगती है और वहीं धीरे धीरे देवदास मौत के करीब बढ़ता जाता है। उसके मरते साथ ही पारो का दीया भी बुझ जाता है।
 
== मुख्य कलाकार ==
{| class="wikitable"
|-
! अभिनेता/अभिनेत्री !! भुमिकाभूमिका
|-
|[[शाहरुख़ खान]] || देवदास मुखर्जी
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|[[ऐश्वर्या राय]] || पार्वती (पारो) चक्रवर्ती
|-
|[[माधुरी दीक्षित]] || चंद्रमुखीचन्द्रमुखी
|-
|[[जैकी श्रॉफ]] || चुन्नीलाल (चुन्नीबाबू)
|-
|[[स्मिता जयकर]] || कौशल्या मुखर्जी
|-
|[[किरण खेर]] || सुमित्रा चक्रवर्ती
|-
|[[मनोज जोशी]] || द्विजदास मुखर्जी
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|[[विजयेन्द्र घटगे]] || भुवन चौधरी
|-
|टिकु[[टीकू तलसानिया]] || धरमदास
|[[किरण खेर]] || सुमित्रा चक्रवर्ती
|-
|टिकु तलसानिया || धरमदास
|-
|अवा मुखर्जी || देव की बडी़ माँ
पंक्ति 82:
|}
 
== संगीत ==
== नामांकरण और पुरस्कार ==
{{Tracklist
| heading = गीत
| extra_column = गायक
| title1 = सिलसिला ये चाहत का
| extra1 = [[श्रेया घोषाल]]
| length1 = 5:26
| lyrics1 = नुसरत बद्र
| music1 = [[इस्माइल दरबार]]
 
| title2 = मार डाला
| extra2 = [[कविता कृष्णमूर्ति]], [[केके]]
| length2 = 4:40
| lyrics2 = नुसरत बद्र
| music2 = इस्माइल दरबार
 
| title3 = बैरी पिया
| extra3 = श्रेया घोषाल, [[उदित नारायण]]
| length3 = 5:23
| lyrics3 = नुसरत बद्र
| music3 = इस्माइल दरबार
 
| title4 = काहे छेड़
| extra4 = बिरजू महाराज, माधुरी दीक्षित, कविता कृष्णमूर्ति
| length4 = 5:23
| lyrics4 = [[बिरजू महाराज]]
| music4 = बिरजू महाराज
 
| title5 = छलक छलक
| extra5 = उदित नारायण, [[विनोद राठोड़]], श्रेया घोषाल
| length5 = 5:12
| lyrics5 = नुसरत बद्र
| music5 = इस्माइल दरबार
 
| title6 = हमेशा तुमको चाहा
| extra6 = कविता कृष्णमूर्ति, उदित नारायण
| length6 = 6:02
| lyrics6 = नुसरत बद्र
| music6 = इस्माइल दरबार
 
| title7 = वो चाँद जैसी लड़की
| extra7 = उदित नारायण
| length7 = 4:32
| lyrics7 = नुसरत बद्र
| music7 = इस्माइल दरबार
 
| title8 = मोरे पिया
| extra8 = श्रेया घोषाल, [[जसपिंदर नरूला]]
| length8 = 5:40
| lyrics8 = [[समीर (गीतकार)|समीर]]
| music8 = इस्माइल दरबार
 
| title9 = डोले रे डोला
| extra9 = श्रेया घोषला, कविता कृष्णमूर्ति, केके
| length9 = 6:35
| lyrics9 = नुसरत बद्र
| music9 = इस्माइल दरबार
}}
 
== नामांकरणनामांकन और पुरस्कार ==
* [[२००३|2003]] - [[फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार|फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म]]
* [[२००३|2003]] - [[फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार]] - [[शाहरुख़ खान]]