"भूल भुलैया (2007 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

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'''भूल भुलैया''' 2007 में बनी [[हिन्दी भाषा]] की फिल्म है।
== संक्षेपकहानी ==
सिद्धार्थ चतुर्वेदी ([[शाइनी आहूजा]]) कई सालों के बाद अमेरिका से वापस लौटता है। उसके आने की खबर से सभी खुश हो जाते हैं। उसकी शादी बहुत पहले ही राधा ([[अमीशा पटेल]]) से तय हो चुकी थी, और इस कारण वो भी बहुत खुश हो जाती है।
एक भूतिया महल होता है, उसमे जाना सख्त मना होता। उस महल के दरवाजे को लगातार सात दिनों में मन्त्र तंत्र का नाद सुना कर बंद कर देते है, इसके पश्चात अवनी चतुर्वेदी और सिद्धार्थ चतुर्वेदी अपने चाचा के यहाँ रहने के लिए आते है।
सिद्धार्थ पढ़ा लिखा होता है और वह चाचा की बातों पर यकीन नहीं करता है, उसकी पत्नी अवनि बचपन में अपने दादी के साथ रहती है। दादी उनको भुत प्रेत और परियो की कहानी सुनाती थी और अवनी उस कहानियो में खो जाती थी। फिर एक दिन अवनी के पापा अमेरिका से आये और अवनी को अपने साथ ले गए। एक दिन खबर आति है कि उनकी दादी की मृत्यु हो गई।
 
लेकिन जब सिद्धार्थ आता है, तो परिवार वालों को पता चलता है कि उसकी शादी अवनी ([[विद्या बालन]]) से हो चुकी है। इस खबर से राधा का दिल टूट जाता है और परिवार वाले भी दुःखी हो जाते हैं। अवनी और सिद्धार्थ वहाँ एक महल में रहने का फैसला करते हैं। पर परिवार वाले उसके इस फैसले का विरोध करते हैं, क्योंकि उन्हें वो भुतिया महल लगता है। लेकिन सिद्धार्थ इन बातों को नहीं मानता और उसकी उस महल में सुरक्षा हो, इस कारण पूरा परिवार उस महल में रहने चले जाता है।
कई साल पहले एक राजा हुआ करता था, उनके दरबार में कई लोग आते थे और अपनी जोली भर के जाते थे,
फिर एक दिन आई बंगाल की नर्तकी मंजुलिका। उसको एक आदमी से प्यार हो जाता है लेकिन राजा उस आदमी के सर को काट देता है और मंजुलिका को एक कमरे में बंद कर देता है, मंजुलिका फाशी खाकर आत्महत्या कर लेती है और उनका आत्मा वह भटकता रहता है। कई सालों बाद जब अवनि और सिद्धार्थ वहा रहने के लिए आते है तो अवनि अपने आप को मंजुलिका समज लेती है और मंजुलिका की आत्मा उनके शरीर में प्रवेश कर लेती है क्योकि जैसा अन्याय मंजुलिका के साथ हुआ था ऐसा ही अन्याय अवनि के साथ हुआ था,
 
अवनी को अपने महल में एक ताला लगा कमरा दिखता है, वो उसकी चाबी बनवाने को किसी से कहती है। चाबी मिलते ही वो दरवाजे को खोल कर अंदर चले जाती है। वहाँ उसे मंजूलिका का सामान आदि दिखता है। लेकिन जब वो वापस आती है तो परिवार वाले उससे कहते हैं कि उसने दरवाजा खोल कर गलत किया है। उसके दरवाजा खोजने से शैतानी आत्मा अब उन सब को नहीं छोड़ेगी।
दुर्गाष्टमी के दिन डॉ. आदित्य श्रीवास्तव(अक्षय कुमार) अपने गुरूजी की मदद से और अपनी ताकत और चालाकी से अवनि के शरीर में से मंजुलिका की आत्मा को बहार कर देता है।
 
इसके बाद से अचानक महल में कई अजीब घटनाएँ होने लगती हैं। सिद्धार्थ को लगता है कि राधा मानसिक रूप से ठीक नहीं है और वो अमेरिका में अपने दोस्त आदित्य ([[अक्षय कुमार]]) को फोन कर बुला लेता है। जब घर वालों को पता चलता है कि आदित्य दिमाग का डॉक्टर है और राधा को ठीक करने के लिए सिद्धार्थ ने बुलाया है तो वे लोग उससे कहते हैं कि राधा बीमार नहीं है।
 
एक दिन अचानक आदित्य को दिखता है कि रसोई घर में गैस स्टोव के आसपास और चाय के बर्तन में जहर छिड़का हुआ था और पास में ही जहर की बोतल भी थी। उसे पता चलता है कि सिद्धार्थ उस चाय को पीने वाला है और वो दौड़ कर उसके चाय के कप को गिरा देता है और चाय बनाने वाले के ऊपर जहर देने का आरोप लगता है। उसे पता चलता है कि चाय और किसी ने नहीं, बल्कि राधा ने ही बनाया है। वो उसे मानसिक रोगी बता कर कमरे में बंद कर देता है।
 
नंदिनी और शरद के शादी के दिन शरद के कपड़े पर अवनी खाना गिरा देती है और उसे साफ करने के बहाने से उसे दूर ले जाती है। अवनी के कहीं न दिखने के कारण सिद्धार्थ और आदित्य उसे ढूंढने लगते हैं और उन्हें अवनी और शरद दिख जाते हैं। सिद्धार्थ को लगता है कि शरद उसकी पत्नी के साथ जबर्दस्ती करने की कोशिश कर रहा है, और वो उसे मारने लगता है। आदित्य उसे रोकता है और अवनी को उसके कमरे में ले जाने बोलता है। सिद्धार्थ अपना गुस्सा शरद पर निकालने ही वाला होता है कि आदित्य उसे समझाता है कि अवनी को [[बहुव्यक्तित्व विकार|दोहरे व्यक्तित्व]] वाली बीमारी है। वो उसे बताता है कि वो अवनी के घर गया था, वहाँ उसे पता चला कि उसे किस्से कहानियों का बचपन से बहुत शौक था, उसकी दादी उसे हर दिन कहानी सुनाती थी, पर उनके मरने के बाद वो अपने पिता के साथ अमेरिका चले गई, पर उसके दादी के जाने से उसके मन में बहुत बड़ा आघात हुआ था।
 
जब अवनी इस महल में आई तो उसने मंजूलिका के बारे में जानकारी लेनी शुरू कर दी। उसे पता चला कि किस प्रकार राजा विभूति नारायण को एक नाचने वाली, मंजूलिका से प्यार हो जाता है। लेकिन मंजूलिका अपने साथ नाचने वाले शशीधर से प्यार करती है। जब राजा को उन दोनों के प्यार के बारे में पता चलता है तो दुर्गाष्टमी के दिन वो शशीधर को मंजूलिका के सामने ही मार देता है और उसे कमरे में बंद कर देता है। राजा से शादी करने से पहले ही वो फांसी में लटक कर अपनी जान दे देती है और ये भी वादा करती है कि वो महल में किसी भी राजा को नहीं छोड़ेगी।
 
इस कहानी को जान कर अवनी अपने आप को मंजूलिका समझने लगी है और सिद्धार्थ को राजा विभूति मान कर मारने का प्रयास कर रही है। उसे लगता है कि शरद ही उसका शशीधर है, इस कारण उसने नंदिनी और शरद की शादी तोड़ने के लिए शरद को बाहर बुलाया था और ऐसा दिखाने की कोशिश कर रही थी कि शरद उसके साथ जबर्दस्ती कर रहा है।
 
सिद्धार्थ उस पर पूरी तरह भरोसा नहीं कर पाता है, और उसे भरोसा हो, इस कारण वो सिद्धार्थ को बोलता है कि वो अवनी से उकसाने की कोशिश करे। जब सिद्धार्थ अवनी को उकसाता है तो वो मंजूलिका की तरह बोलने लगती है, जिससे सिद्धार्थ डर जाता है, उसके चिल्ला कर अवनी कहते ही वो सामान्य हो जाती है।
 
वो सिद्धार्थ को अवनी को ठीक करने का तरीका बताता है। दुर्गाष्टमी के दिन वो किसी तरह अवनी के मंजूलिका बनने के बाद उससे वादा ले लेता है कि वो अगर राजा को मार देगी तो वो अवनि का शरीर हमेशा के लिए छोड़ देगी, और अवनी, जो मंजूलिका बनी है, वो वादा कर लेती है। आदित्य ये दिखाता है कि उसने सिद्धार्थ को मार दिया है, और उसके मौत के बाद अवनी के मन में बसी मंजूलिका हमेशा के लिए चले जाती है। अवनी के पूरी तरह ठीक होने के बाद आदित्य, राधा से कहता है कि यदि उसे उसके साथ शादी करने में रुचि है तो वो अपने माता-पिता को शादी की बात करने के लिए ले आएगा। ये बात सुन कर राधा खुश हो जाती है और उसकी खुशी को देख कर आदित्य उसका जवाब समझ लेता है।
 
== चरित्र ==