"द्विपद प्रमेय": अवतरणों में अंतर
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जैसा ऊपर कहा गया है, धन पूर्णसंख्यात्मक घात के लिये द्विपद प्रमेय [[न्यूटन]] से पहले भी ज्ञात था, किंतु ऋण और भिन्नात्मक घातों के लिए [[न्यूटन]] ने इसकी खोज सन् १६६५ में की और इसकी व्याख्या [[रॉयल सोसायटी ऑव लंदन]] के सेक्रेटरी को लिखे १६७६ ई. के दो पत्रों में की। कुछ व्यक्तियों की धारणा है कि यह सूत्र न्यूटन की कब्र पर खुदा है, किंतु यह असत्य है। इस प्रमेय की दृढ़ [[उपपत्ति]] आबेल ने १८२६ ई. में दी और उन दशाओं में भी इसकी स्थापना की जब घात और द्विपद के पद सम्मिश्र (कम्प्लेक्स) होते हैं।
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{{टिप्पणीसूची}}
* Amulya Kumar Bag. Binomial Theorem in Ancient India. Indian J.History Sci.,1:68-74,1966.
* [[द्विपद गुणांक]]
* [[मेरु प्रस्तार]]
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