"प्रथम विश्व युद्ध": अवतरणों में अंतर

No edit summary
पंक्ति 94:
युद्ध आरम्भ होने के पहले जर्मनों ने पूरी कोशिश की थी कि [[भारत]] में [[ब्रिटेन]] के विरुद्ध आन्दोलन शुरू किया जा सके। बहुत से लोगों का विचार था कि यदि [[ब्रिटेन]] युद्ध में लग गया तो भारत के क्रान्तिकारी इस अवसर का लाभ उठाकर देश से अंग्रेजों को उखाड़ फेंकने में सफल हो जाएंगे। किन्तु इसके उल्टा [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के नेताओं का मत था स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए इस समय ब्रिटेन की सहायता की जानी चाहिए। और जब 4 अगस्त को युद्ध आरम्भ हुआ तो ब्रिटेन भारत के नेताओं को अपने पक्ष में कर लिया। रियासतों के राजाओं ने इस युद्ध में दिल खोलकर [[ब्रिटेन]] की आर्थिक और सैनिक सहायता की।
 
कुल 8 लाख [[भारतीय सेना|भारतीय सैनिक]] इस युद्ध में लड़े जिसमें कुल 47746 सैनिक मारे गये और 65000 ज़ख़्मी हुए। इस युद्ध के कारण [[भारत की अर्थव्यवस्था]] लगभग दिवालिया हो गयी थी। भारत के बड़े नेताओं द्वारा इस युद्ध में ब्रिटेन को समर्थन ने ब्रिटिश चिन्तकों को भी चौंका दिया था। भारत के नेताओं को आशा थी कि युद्ध में [[ब्रिटेन]] के समर्थन से ख़ुश होकर अंग्रेज़ भारत को इनाम के रूप में स्वतंत्रता दे देंगे या कम से कम स्वशासन का अधिकार देंगे किन्तु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। उलटे अंग्रेज़ों ने [[जलियांवाला काण्ड|जलियाँवाला बाग़ नरसंहार]] जैसे घिनौने कृत्य से भारत के मुँह पर तमाचा मारा।
 
==सन्दर्भ==