"हिंदी साहित्य": अवतरणों में अंतर

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{{main|हिंदी की विभिन्न बोलियों का साहित्य}}
 
भाषा के विकास-क्रम में अपभ्रंश से हिन्दी की ओर आते हुए भारत के अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग भाषा-शैलियां जन्मीं। हिन्दी इनमें से सबसे अधिक विकसित थी, अतः उसको भाषा की मान्यता मिली। अन्य भाषा शैलियां बोलियां कहलाईं। इनमें से कुछ में हिंदी के महान कवियों ने रचना की जैसे [[तुलसीदास]] ने [[रामचरित मानस]] को अवधी में लिखा और सूरदास ने अपनी रचनाओं के लिए [[ब्रजभाषा|बृज भाषा]] को चुना, विद्यापति ने [[मैथिली]] में और [[मीराबाई]] ने राजस्थानी को अपनाया।
 
[[हिंदी की विभिन्न बोलियों का साहित्य]] आज भी लोकप्रिय है और आज भी अनेक कवि और लेखक अपना लेखन अपनी-अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में करते हैं।