"हिंदी साहित्य": अवतरणों में अंतर

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[[हिन्दी साहित्य]] का [[भक्ति काल]] १३७५ वि0 से १७०० वि0 तक माना जाता है। यह काल प्रमुख रूप से [[भक्ति]] भावना से ओतप्रोत काल है। इस काल को समृद्ध बनाने वाली दो काव्य-धाराएं हैं -1.निर्गुण भक्तिधारा तथा 2.सगुण भक्तिधारा।
[[निर्गुण]] भक्तिधारा को आगे दो हिस्सों में बांटा जा सकता है, [[संतकाव्य]] (जिसे ज्ञानाश्रयी शाखा के रूप में जाना जाता है,इस शाखा के प्रमुख कवि , [[कबीर]], [[नानक]], [[दादूदयाल]], [[रैदास]], [[मलूकदास]], [[सुन्दरदास]], [[धरमदास]] आदि हैं।
 
निर्गुण भक्तिधारा का दूसरा हिस्सा [[सूफी]] [[काव्य]] का है।इसे प्रेमाश्रयी शाखा भी कहा जाता है। इस शाखा के प्रमुख कवि हैं- मालिक मोहम्मद जायसी, कुतबन, [[मंझन]], शेख नबी, कासिम शाह, नूर मोहम्मद आदि।