"हिंदी साहित्य": अवतरणों में अंतर

पंक्ति 26:
[[निर्गुण]] भक्तिधारा को आगे दो हिस्सों में बांटा जा सकता है, [[संत काव्य]] (जिसे ज्ञानाश्रयी शाखा के रूप में जाना जाता है,इस शाखा के प्रमुख कवि , [[कबीर]], [[नानक]], [[दादूदयाल]], [[रैदास]], [[मलूकदास]], [[सुन्दरदास]], [[धरमदास]] आदि हैं।
 
निर्गुण भक्तिधारा का दूसरा हिस्सा [[सूफी]] [[काव्य]] का है। इसे प्रेमाश्रयी शाखा भी कहा जाता है। इस शाखा के प्रमुख कवि हैं- [[मलिक मोहम्मद जायसी]], [[कुतुबन]], [[मंझन]], [[शेख नबी]], कासिम शाह, नूर मोहम्मद आदि।
 
भक्तिकाल की दूसरी धारा को [[सगुण]] भक्ति धरा के रूप में जाना जाता है। सगुण भक्तिधारा दो शाखाओं में विभक्त है- [[रामाश्रयी शाखा]], तथा [[कृष्णाश्रयी शाखा]]।