"हिंदी साहित्य": अवतरणों में अंतर

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[[हिंदी]] साहित्य का [[रीति काल]] संवत १७०० से १९०० तक माना जाता है यानी १६४३ई० से १८४३ई० तक। रीति का अर्थ है बना बनाया रास्ता या बंधी-बंधाई परिपाटी। इस काल को [[रीतिकाल]] कहा गया क्योंकि इस काल में अधिकांश कवियों ने [[श्रृंगार]] वर्णन, अलंकार प्रयोग, छंद बद्धता आदि के बंधे रास्ते की ही कविता की। हालांकि [[घनानंद]], [[बोधा]], [[ठाकुर]], गोबिंद सिंह जैसे रीति-मुक्त कवियों ने अपनी रचना के विषय मुक्त रखे।
 
[[केशव]] ([[१५४६]]-[[१६१८]]), [[बिहारी (साहित्यकार)|बिहारी]] (१६०३-१६६४), [[भूषण (हिन्दी कवि)|भूषण]] (१६१३-१७०५), [[मतिराम]], [[घनानन्द]] , [[सेनापति]] आदि इस युग के प्रमुख रचनाकार रहे।