"रामचन्द्र शुक्ल": अवतरणों में अंतर

अप्राप्य संदर्भ
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शुक्ल जी ने प्रायः साहित्यिक और मनोवैज्ञानिक निबंध लिखे हैं। साहित्यिक निबंधों के ३ भाग किए जा सकते हैं -
 
''' सैद्धान्तिक आलोचनात्मक निबंध'''- '[[कविता क्या है]]'। 'काव्य में लोक मंगल की साधनावस्था', 'साधारणीकरण और व्यक्ति वैचियवाद', आदि निबंध सैध्दांतिक आलोचना के अंतर्गत आते हैं। आलोचना के साथ-साथ अन्वेषण और गवेषणा करने की प्रवृत्ति भी शुक्ल जी में पर्याप्त मात्रा में है। '[[हिंदी साहित्य का इतिहास]]' उनकी इसी प्रवृत्ति का परिणाम है।
 
''' व्यवहारिक आलोचनात्मक निबंध'''- भारतेंदु हरिश्चंद्र, तुलसी का भक्ति मार्ग, मानस की धर्म भूमि आदि निबंध व्यावहारिक आलोचना के अंतर्गत आते हैं।