"दयानन्द सरस्वती": अवतरणों में अंतर

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== आर्य समाज की स्थापना ==
[[चित्र:ॐ को आर्य समाज में ईश्वर का सर्वोत्तम और उपयुक्त नाम माना जाता है.jpeg|thumb|right|150px|'''ॐ''' को आर्य समाज में ईश्वर का सर्वोत्तम और उपयुक्त नाम माना जाता है।]]
महर्षि दयानन्द ने [[चैत्र]] शुक्ल प्रतिपदा संवत् १९३२(सन् १८७५) को गिरगांव [[मुम्बई]] में आर्यसमाज की स्थापना की। आर्यसमाज के नियम और सिद्धांत प्राणिमात्र के कल्याण के लिए है। संसार का उपकार करना इस समाज का मुख्य उद्देश्य है, अर्थात् शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उन्नति करना। मैं मानता हूँ कि गीता में कुछ भी गलत नहीं है। इसके अलावा गीता वेदों के खिलाफ नहीं है।
 
== वैचारिक आन्दोलन, शास्त्रार्थ एवं व्याख्यान ==