"बाज़ी (1995 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर
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'''बाज़ी''' 1995 में बनी हिन्दी भाषा की [[एक्शन फ़िल्म]] है। यह [[आशुतोष गोवरिकर]] द्वारा निर्देशित और [[आमिर ख़ान]] और [[ममता कुलकर्णी]] अभिनीत हैं। यह फिल्म आधार है जिससे आमिर ख़ान का चयन सख्त पुलिस अधिकारी के रूप में
== संक्षेप ==
इंस्पेक्टर अमर दमजी ([[आमिर ख़ान]]) है मुख्यमंत्री विश्वासराव चौधरी ([[रजा मुराद]]) को जानलेवा हमले से बचाता है। मुखमंत्री अमर से प्रभावित हुए और उसे करोड़ रुपये के घोटाले के पीछे लोगों का पता लगाने का काम देते हैं। यह दिखाया गया है कि चौबे (मुख्यमंत्री का सहायक) वह था जिसने धोखाधड़ी की थी और यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि वह पकड़ा नहीं जाए। इसलिए उसने हत्यारों से मुख्यमंत्री पर हमला करने के लिए कहा था। अमर अपराध की तह तक जाने की कोशिश करता है और इससे चौबे परेशान होना शुरू होता है। वह महसूस करता है कि अमर उसके कितना करीब आ रहा है। तब चौबे ने पुलिस आयुक्त मजूमदार ([[कुलभूषण खरबंदा]]) की बेटी की हत्या के लिए अमर को फँसा दिया।
अमर, हत्यारे रघु के साथ लंबी लड़ाई के बाद, कई अन्य लोगों के साथ जेल से बच निकला। उसके बाद वह इस सब के पीछे आदमी को खोजने के लिए एक महिला के रूप में मुखौटा धारण करने की योजना तैयार करता है। वह चौबे को पाता है और उसे उस व्यक्ति के रूप में पहचानता है जिसने उसके माता-पिता को मार डाला था। आखिरकार, चौबे के हत्यारे एक बार फिर से मुख्यमंत्री पर हमला करने के प्रयास में 12 मंजिला टावर में लोगों को बंधक बनाते हैं। लेकिन अमर धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से उन सभी को बचाता है। चूँकि चौबे छत पर एक हेलीकॉप्टर के माध्यम से बचने की कोशिश करता है, अमर उसे रोकता है और आखिरकार उसे चौबे की बिजली के करंट से हो जाती है। अमर को मुख्यमंत्री और पुलिस आयुक्त द्वारा बधाई दी जाती है।
== मुख्य कलाकार ==
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