"ओइनवार वंश": अवतरणों में अंतर
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7.'''शिवसिंह देव''' (विरुद 'रूपनारायण')- १४१३ से १४१६ ई तक। (मात्र ३ वर्ष ९ महीने) इन्होंने अपनी राजधानी 'देकुली' से हटाकर 'गजरथपुर'/गजाधरपुर/शिवसिंहपुर में स्थापित किया, जो दरभंगा से ४-५ मील दूर दक्षिण-पूर्व में है। दरभंगा में भी वाग्मती किनारे इन्होंने किला बनवाया था। उस स्थान को आज भी लोग किलाघाट कहते हैं। १४१६ ई.(पूर्वोक्त मत से १४०६ ई.) में जौनपुर के सुलतान इब्राहिम शाह की सेना गयास बेग के नेतृत्व में मिथिला पर टूट पड़ी थी। दूरदर्शी महाराज शिवसिंह ने अपने मित्रवत् कविवर विद्यापति के संरक्षण में अपने परिवार को नेपाल-तराई में स्थित राजबनौली के राजा पुरादित्य 'गिरिनारायण' के पास भेज दिया। स्वयं भीषण संग्राम में कूद पड़े। मिथिला की धरती खून से लाल हो गयी। शिवसिंह का कुछ पता नहीं चल पाया। उनकी प्रतीक्षा में १२ वर्ष तक लखिमा देवी येन-केन प्रकारेण शासन सँभालती रही।
8.'''लखिमा रानी''' -
9.'''पद्म सिंह''' -
10.'''रानी विश्वास देवी''' -
11.'''हरसिंह देव''' ( शिवसिंह तथा पद्म सिंह के चाचा) -
12.'''नरसिंह देव''' -
13.'''धीर सिंह''' -
14.'''भैरव सिंह''' - उपशासन धीर सिंह के समय से ही। मुख्य शासन संभवतः
:''पोखरि रजोखरि और सब पोखरा। राजा शिवसिंह और सब छोकरा॥''
इसके साथ ही कुछ-कुछ दूरी पर दो और तालाब है। साथ ही संभवतः उसी युग का विष्णु-मन्दिर है, जो लक्ष्मीनारायण-मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध है। इसमें भारतीय मध्यकालीन शैली की विष्णु-मूर्ति है। इन्हीं महाराज (भैरव सिंह) के दरबार में सुप्रसिद्ध महामनीषी अभिनव वाचस्पति मिश्र तथा अनेक अन्य विद्वान् भी रहते थे।
15.'''रामभद्रसिंह देव''' -
16.'''लक्ष्मीनाथसिंह देव''' -
[[श्रेणी:भारत के राजवंश]]
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