"कुमारसंभवम्": अवतरणों में अंतर

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'''कुमारसंभव''' [[कालिदास|महाकवि कालिदास]] विरचित [[कार्तिकेय]] के जन्म से संबंधित<ref>[http://www.iloveindia.com/literature/sanskrit/poetry/kumarasambhavam.html/%3E "Kumarasambhavam by Kalidasa - Synopsis & Story"]. ILoveIndia.com. Retrieved 17 April 2017.</ref> [[महाकाव्य]] जिसकी गणना [[संस्कृत]] के पंच [[महाकव्य|महाकाव्यों]] में की जाती है।
 
इस महाकाव्य में अनेक स्थलों पर स्मरणीय और मनोरम वर्णन हुआ है। हिमालयवर्णन, पार्वती की तपस्या, ब्रह्मचारी की शिवनिंदा, वसन्त आगमन, शिवपार्वती विवाह और रतिक्रिया वर्णन अदभुत अनुभूति उत्पन्न करते हैं। कालिदास का बाला पार्वती, तपस्विनी पार्वती, विनयवती पार्वती और प्रगल्भ पार्वती आदि रूपों नारी का चित्रण अद्भुत है।
 
यह महाकाव्य 17१७ सर्ग्रोंसर्गों में समाप्त हुआ है, किंतु लोक धारणा है कि केवल प्रथम आठ सर्ग ही कालिदास रचित है।हैं। बाद के अन्य नौ सर्ग अन्य कवि की रचना है ऐसा माना जाता है। कुछ लोगों की धारणा है कि काव्य आठ सर्गों में ही शिवपार्वती समागम के साथ कुमार के जन्म की पूर्वसूचना के साथ ही समाप्त हो जाता है। कुछ लोग कहते हैं कि आठवें सर्ग मे शिवपार्वती के [[संभोग]] का वर्णन करने के कारण कालिदास को [[कुष्ठ]] हो गया और वे लिख न सके। एक मत यह भी है कि उनका संभोगवर्णन जनमानस को रुचीरुचि नहीं इसलिए उन्होंने आगे नहीं लिखा।
 
== कथा ==