"अग्निहोत्र": अवतरणों में अंतर

No edit summary
छो 14.140.169.162 (Talk) के संपादनों को हटाकर Gaurav561 के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
पंक्ति 1:
{{स्रोतहीन|date=दिसम्बर 2015}}
[[चित्र:Brahmana performing fire sacrifice.JPG|thumb|250px| [[ब्राह्मण]] पुरोहित यज्ञ वेदी में [[घी]] का हवन करते हुए.]]
'''अग्निहोत्र''' एक वैदिक यज्ञ है जिसका वर्णन [[यजुर्वेद]] में मिलता है। अग्निहोत्र एक नित्य वैदिक यज्ञ है।
{{वैदिक यज्ञ}}
अग्निहोत्र एक दैनिक यज्ञ है , जो सूर्योदय और सूर्यास्त के समय ताम्बे के विशिस्ट पात्र में गाय के कंडे ( सूखा गोबर ) पे गाय के घी मिश्रित अक्षत चावल / तांदुल के दानो की आहुति दे के किया जाता है .
ये यग्न कोई भी व्यक्ति जाती पाती और लिंग के भेद बिना कर सकते है . केवल स्थानिक सूर्योदय और सूर्यास्त का समय एकदम सही होना चाहिए और केवल गौवंश के कंडे और गाय का घी का इस्तमाल होना चाहिए.
सूर्योदय के मंत्र है :
सूर्याय स्वाहा , सूर्याय इदं न ममः । प्रजापतये स्वाहा , प्रजापतये इदं न ममः ।
सूर्यास्त का मंत्र है
अग्नये स्वाहा , अग्नये इदं न ममः । प्रजापतये स्वाहा , प्रजापतये इदं न ममः
ाअग्निहोत्र करने से वायु मंडल शुद्ध होता है तथा सूर्योदय और सूर्यास्त के समय प्रकृति में जो बदलाव होता है उसमे हमारी प्रकृति स्थिर रहती है अवं वातावरण में से निकलने वाले हानिकारक किरणों से बचाव होता है ।{{वैदिक यज्ञ}}
 
[[श्रेणी:यजुर्वेhttps://farm8.staticflickr.com/7290/9587257219_f8f1804b7c_b.jpgदयजुर्वेद]]