"भक्ति काल": अवतरणों में अंतर
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== ज्ञानाश्रयी शाखा ==
इस शाखा के भक्त-कवि निर्गुणवादी थे और
प्रोफ़ेसर महावीर सरन जैन ने निर्गुण भक्ति के स्वरूप के बारे में प्रश्न उठाए हैं तथा प्रतिपादित किया है कि संतों की निर्गुण भक्ति का अपना स्वरूप है जिसको वेदांत दर्शन के सन्दर्भ में व्याख्यायित नहीं किया जा सकता। उनके शब्द हैं:
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