"बबूल": अवतरणों में अंतर
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यह पेड़ एक मात्र पश्चिमी राजस्थान में पाया जाता है
इस पेड़ की गिनती दुर्लभ क्षेणी में होती है ।
उत्तरी [[भारत]] में बबूल की हरी पतली टहनियां [[दातून]] के काम आती हैं। बबूल की दातुन दांतों को स्वच्छ और स्वस्थ रखती है। बबूल की लकड़ी का कोयला भी अच्छा होता है। हमारे यहां दो तरह के बबूल अधिकतर पाए और उगाये जाते हैं। एक देशी बबूल जो देर से होता है और दूसरा मासकीट नामक बबूल. बबूल लगा कर पानी के कटाव को रोका जा सकता है। जब रेगिस्तान अच्छी भूमि की ओर फैलने लगता है, तब बबूल के जगंल लगा कर रेगिस्तान के इस आक्रमण को रोका जा सकता है।
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Image:Babool (Acacia nilotica) flowers at Hodal W IMG 1248.jpg|होडल, [[फरीदाबाद]] में बबूल वृक्ष
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